"पाबन्द"(कविता)
आंधी ,बारिश या तूफान समय निरन्तर चलायमान चाहे कलयुग चाहे त्रेता अपनी गति से चलता रहता!! समय का जो पाबन्द होता पाता नहीं कभी असफलता कहलाता सदा वही विजेता !! समय के साथ जो चलता मानसिक रूप से नहीं थकता प्रतिकूलताओं में भी स्व-अनुकूल ढूंढ लेता !! समय की धारा प्रतीपल प्रवाहित गतिमान ज्योत जलाए अखण्ड ज्ञान जो अग्रसर वही महान !! है दौर बुरा वक़्त कातिलाना नहीं जिंदगी का ठौर ठिकाना !! साथ देगा कबतक सांस नहीं किसी को ये आभास !! धावक सरीखे वक़्त परिंदा अति तीव्र है दौड़ लगाता हर मौसम को स्वयं के पीछे बेरहमी से छोड़ जाता !! कभी हर्ष ले कर आता कभी गम दे कर जाता कभी खुशी से सराबोर कभी दुःख से देता झंझोर मानव सोचता रह जाता उत्तर खोजता रह जाता प्रश्नों के अंबार लिए निःशब्द रह जाता !! समय के साथ सांठ-गांठ कर लेता वह ज्ञानी समय के साथ पंगा लेना सबसे बड़ी नादानी !! धरा -शिखर या क्षितिज के पार समय का होता सम-व्यवहार कोई देखा नहीं रूप साकार इस अदृश्य शक्ति की सदा करें पूजा सत्कार !! Written by वीना उपाध्याय