"सोंचो अगर हम पंक्षी होते"(कविता)

 सोंचो अगर हम पंक्षी होते, 

फुर्र-फुर्र करके हम उड जाते।


पेड़ों में अपना घर होता, 

मीठे-मीठे फल सब खाते। 


दूर गगन तक आना जाना 

चाँद सितारों को ले आते। 


बुध शुक्र पृथ्वी मंगल बृहस्पति 

शनि अरुण वरुण को गीत सुनाते। 


बादल के पीछे छिप जाते 

बच्चे हमको ढूंढ न पाते। 


नदी तालाब पोखर झरने मे 

फुदक फुदक कर खूब नहाते।

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