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"नन्ही सी जान"(कविता)

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एक नन्ही सी जान करती है बहुत सारे सवाल  होठों पर मुस्कुराहट  उसकी आंखें करती हैं सवाल जिनका नहीं है हमारे पास जवाब  कभी सिर नीचे कर लेना  कभी बात को टाल देना यही था हमारा जवाब  छोटा सा था उसका सवाल  लेकिन जवाब नहीं था आसान लेकिन किसी के पास  नहीं था उसका जवाब अब उसे आंखें मिलाना  नहीं था आसान क्योंकि उसकी आंखों  मैं फिर से थे वही सवाल उसके हाथ लगते थे सिर्फ निराशा लेकिन उसको था विश्वास एक दिन मिलेगा हमको जवाब। Written by  लेखिका नेहा जायसवाल

"धैर्य"(कविता)

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मुश्किल है वक्त  थोड़ा धैर्य से काम लो रास्ते है उबड़ खाबड़  थोड़ा संभल कर चलो एक दिन वह वक्त आएगा हमारे हाथ भी कुछ ऐसा लग जाएगा हर खेल को धैर्य से जीता जाएगा यही सोच हर वक्त काम आएगा  इसी सोच से बहुतो को  इंसाफ मिल जाएगा  लड़ाई है इसी समाज से  मुश्किलें हर वक्त  आएगा    सच को हथियार बना के  हर लड़ाई को जीत जाएगा  लिखा है पुराणों कथाओं में  सच कभी पराजित नहीं हो पाएगा हर वक्त सच का ही जीत होगा  लेकिन कुछ वक्त लग जाएगा सच्चाई की यही परीक्षा है  सच हर वक्त हमें अजमा एगा इसीलिए चलो संभल के  नहीं तो धैर्य मिट्टी में मिल जाएगा कुछ वक्त लगेगा  सब सही हो जाएगा  धैर्य ही हमें उस रास्ते पर ले जाएगा। Written by  लेखिका नेहा जायसवाल

"भारत की शान"(कविता)

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हाथों में तलवार है दिल में देश के प्रति प्यार है लड़ जाने को भी तैयार है ना जान की परवाह है सीने पै खा के गोली मुंह पर भारत माता का नाम है हम ही वीर जवान हैं आंखों में ना है आंसू ना है पैर लड़खड़ाते इसलिए तो बॉर्डर पर  तैनात खड़े हो जाते ना है जान की डर  ना अंधेरों से घबराते माथे पर डर का सीकन तक ना आने देते हैं देश के प्रति वफादार रहने का प्रतिज्ञा दे जाते है मां के आशु तक नहीं पोंछ पाते है जब आगे चलते हैं तो पीछे मुड़ के नहीं देख पाते है अपनों के प्रति दयावान हो जाते हैं इसीलिए कभी नहीं घबराते हैं इसी लिए देश के प्रति  हमेशा लड़ जाते हैं अपनों के प्रति परवाह भारत माता की शान बनना चाहते है इसीलिए तो हम वीर जवान कहलाते हैं Written by  लेखिका नेहा जायसवाल

"करोना से भी लड़ जाएगे"(कविता)

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कदम है लड़खड़ाते घर में ही रुक जाएंगे हे आजाद देश के नागरिक करोना से भी लड़ जाएगे जैसे लड़के लोगों ने  देश को आजादी दिलाया था वैसे ही हम भी  करोना से लड़ जाएगे देश को आजादी दिलवाने  के लिए लोगों ने हाथ में तलवार को उठाया था करोना से लड़ने के लिए  छोटे-मोटे काम ही तो करने हैं हाथ में सैनिटाइजर  मुंह पर मास्क लगाएंगे कुछ दिन घर मैं ही समय बिताएंगे  2 गज की दूरी का पालन कर जाएंगे इस बार भी मिलकर कदम बढ़ाएंगे  साथ में सोशल डिस्टेंसिंग  का पालन कर जाएंगे है खुराफाती दिमाग घर में ही रह कर कुछ कर जाएंगे है आजाद देश के नागरिक करोना से भी लड़ जाएगे। Written by  #लेखिका_नेहा_जायसवाल

"विश्वास"(कविता)

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जब अपने आप से भाग रहे थे जब लक्ष्य से नजर भटक रहा था  हर रास्ते बंद हो रहे थे अपने आप पर से विश्वास उठ रहा था  तब था उन सब को हम पर विश्वास  उसी वक़्त सोचा  चल कुछ कर दिखाते हैं नया जिनको था हम पर विश्वास अब उनके हौसले टूटने नहीं देंगे यही है हमारा ख्वाब  है हमारे अपनों को  हम पर विश्वास जब नहीं था हमें  कुछ कर दिखाने का साहस तब उन्होंने वही से  बुना था एक ख्वाब सोचते जागते घूमता था मन में एक ही बात क्यों है हमारे अपनों को  हम पर इतना विश्वास क्या यही है हमारे अधूरे ख्वाब या है और कुछ राज। Written by  #लेखिका_नेहा_जायसवाल

"धुंधली सी यादें" (कविता)

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कुछ यादें हैं लेकिन सब आधे आधे हैं कुछ बचपन की धुंधली सी यादें लेकिन अभी तक नहीं हुए हैं पूरे बरसों बीत गए लेकिन नहीं याद आती है सारी बातें पूछने पर भी नहीं बाते हैं लोग सारे अंधेरों में  ही बीते हैं   मेरे बचपन सारे नहीं खेला हैं खिलौनों से  क्योंकि आगे पीछे थी सलाखें  दीवारों पर ही लिखकर  सारे सपने किए हैं पूरे  नहीं बढ़ाएं है लोगों से दोस्ती की हाथ क्योंकि सलाखों के अंदर ही काटे हैं अपने बचपन सारे डर के साए में कैसी होती है जिंदगी यही बात जाने हैं सारे  घड़े का खड़ खड़ाना  गिलासों का बजना यही थे मेरे मनपसंद गाने  नहीं सुना हूं लोरी पता नहीं क्यों बीते हैं  ऐसे मेरे बचपन सारे बस है बचपन की धुंधली सी यादें। Written by  #लेखिका_नेहा_जायसवाल

"एक उम्मीद की किरण "(कविता)

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जब मुसीबत से घबरा जाते, हौसला बढ़ा देती, अंधेरों में भी उजाला कर देती, जब हार के बैठ जाते, नजर आती,एक उम्मीद की किरण।  अपने आप पर से भरोसा उठ जाता, फिर उठने की सलाह दे जाती, हौसलों को कभी टूटने नहीं देती, जब अंधेरों से डर जाते, नजर आती,एक उम्मीद की किरण।  जब सारे रास्ते बंद हो जाते, पीछे हटने की कोशिश करते, डर से लड़ने की ताकत दे जाती, जब अपने साथ छोड़ जाते, नजर आती,एक उम्मीद की किरण।  Written by  #लेखिका_नेहा_जायसवाल

"विरासत की शौक" (कविता)

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जमाने से लोगों को विरासत की शौक तख्त पर ना बैठ कर भी लोगों को तख्त संभालने का शौक लहू का रंग एक है तब भी है लोगों को लोगों से बैर नहीं है लोगों में एकजुट होने का शौक मूल्यवान चीजों का है लोगों को शौक मूल्यवान मनुष्य का नहीं है कद्र धर्म जाति पर रोज होता है बहस अपने आप को साबित करने में ही लग जाते हैं लोग पुराणों कथा पर है लोगों को गर्व ज्ञान बांटना बन गया है शौक उस पर खुद अमल करना नहीं है शौक धर्म की बातें करना है आसान  पुराणों कथा में भी तख्त का है जिक्र विरासत के लिए युद्ध तक लड़ने को है लोग तैयार क्या तख्त है इतना महत्वपूर्ण या बस है संभालने का शौक। Written by  #लेखिका_नेहा_जायसवाल

"महंगाई की मार"(कविता)

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कभी लागू होता है जीएसटी कभी बढ़ जाते हैं पेट्रोल के दाम   इलेक्ट्रॉनिक वाहन लाने की योजना क्या यही है महंगाई की मार । कभी लागू होती है नई शिक्षा नीति किसी साल मिलती फ्री की चीज है किसी दिन बढ़ जाते हैं उसका दाम क्या यही है महंगाई की मार । कभी उत्पाद में होती है बढ़ोतरी फिर भी बढ़ जाते हैं उसके दाम विधानसभा में होती है इसकी चर्चा  फिर भी नहीं समाधान यही है महंगाई की मार या कुछ और है महंगाई की मार । कभी करोना से लड़ने की जंग दो चक्की में पीस जाता है समाज क्या यही है हमारी सरकार क्या ऐसे ही रहेगी महंगाई की मार। Written by #लेखिका_नेहा_जायसवाल

"तेरी कदर नहीं"(कविता)

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तू है तो तेरी कदर नहीं  तू नहीं है तो तेरी कमी महसूस होती है।  वस्तु हो या इंसान क्यों  उसके खो जाने के बाद उसका लिया जाता है नाम।  सामने देख कर भी अनदेखा कर देते वह है तो उस से लड़ जाने को लोग हो जाते तैयार।  उसके जाने के बाद क्यों उसके लिए लड़ने को भी हो जाते हैं तैयार।  क्या यही है लोगों की व्यवहार क्या यही है लोगों की सोच क्या बदलने को भी है लोग तैयार  क्या होता रहेगा ऐसा ही बार-बार या नहीं है इंसानों को समझना आसान।  क्यों, तू है तो तेरी कदर नहीं  तू नहीं है तो तेरी कमी महसूस होती है।  Written by #लेखिका_नेहा_जायसवाल

"एक छोटी सी मुस्कान" (कविता)

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एक छोटी सी मुस्कान। करती है हमारा सारा काम बड़ी से बड़ी चीज करती है आसान डर पर अमल करना सिखाती है नहीं है इस को हराना आसान एक छोटी सी मुस्कान। हौसला बढ़ाती है डर को भगाती है कांटो पर हस कर चलना सिखाती है गिरने से हर वक्त बचाती है हस के हर काम को करना सिखाती है एक छोटी सी मुस्कान।  गिरने पर उठना सिखाती है मैदान में डटे रहना सिखाती है बातों को हस कर सहना सिखाती है हस के लक्ष्य पर चलना सिखाती है  एक छोटी सी मुस्कान। जिंदगी को जीना हस के सिखाती है लोगों में प्रेम की भावना जगाती हैं छोटी चीजों में खुशियां दिखाती है हस के बड़ी सीख दे जाती है एक छोटी सी मुस्कान। Written by  #LekhikaNehaJaiswal

"खाने की चाहत"(कविता)

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छोटी सी उम्र है चार पैर है। ना है अंधेरों से डर ना है गर्मी से डर ना है वर्षा से डर ना है ठंड से डर है बस खाने की चाहत। ना है घर की चाहत ना है लोगों को हमारी कदर दूर-दूरा कर लोग भगा देते हैं वफादारी करना बन चुकी हमारी आदत है बस खाने की चाहत। ना है कपड़ों की चाहत ना है गहनों की चाहत ना है चोरी की आदत ना है उतना खेलने की आदत ना है रात को सोने की आदत है बस खाने की चाहत। ना है कोई सपना ना है कोई ख्वाहिश चोट पर ना है कोई मरहम की आदत ना है आंसू बहाने की आदत ना है उड़ने की कोई ख्वाहिश है बस खाने की चाहत। Written by  #LekhikaNehaJaiswal