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"योग की माया"(कविता)

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 योग की देखो अद्बुत माया रोगहीन   कर देता है काया प्रयोगों की इस दुनिया मे देश -विदेश तक योग है  छाया उल्टा  सीधा है   जो भी खाया योग   ने    उसको   खूब पचाया कोरोना    को  धराशाही कर डाला योग ने योग  का   ही    परचम लहराया अनुलोम  हो  या     हो  विलोम इन्होंने  मजबूत  फेफड़ों को बनाया भ्रामरी   हो   या     फिर भस्त्रिका  शरीर    का  हर    अंग मजबूत बनाया पद्मासन हो या ध्यान की मुद्रा मन को तन को स्वस्थ बनाया Written by विपिन प्रधान