"सबुका पियारु"
गिरवी मकानु केउकै केउकै मचानु पै चाकी बण्डी म छेदु इतनौउ बलुभै दिखायि झांकी कितना अमीरु ब ऊ दिगम्बरु बना घूमैयि तनि एकु सूत ऊपरि गरीबिउ कै रेखु बाकी उजरौउटी तनिके सांटा दरिदुरि भागु जाई गदहा क एकु दाईं बनायि लेतिउ बापु-माई कुकरेउ नाईं आपनु गरदनु हिलावतु रहिब्या पीठी कै भारु सगरिउ कंखरी म जायि समाई सैलाबु आयि जाई हिमानी बरफु जौउ पिघलैयि कितनौउ बंधायि राखौउ माटी कैयि बांधु टूटैयि मोमु जौउ जलैयि तौउ वाजिब बा पिघलु जाई इकु बिया कतहूँ दबैयि पाथरि क फोरि निकरैयि आपनु गदेलु औउ फरिका सबुका पियारु लागैयि कमतरु लखायि जौउ केउ पौरुष वहीपैयि जागैयि अपनिउ गली म कुकुरौउ बनिकैयि हौउ शेरू घूमतु फंसि जायि उहैयि कतहूँ भलु पुंछिया दबायि भागैयि चुइबैयि करी भुंइयां जौउ पाकि गवा आमु ढूंढ़िबैयि करी गुंइयां जौउ जेबी रही छदामु लाचारी भलु आवैयि अस्मतु बचायि राख्यो खेल्या न टुक्की-टुंइयां कछू नाहीं सरैयि कामु Written by ज्ञानेन्द्र पाण्डेय