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"दास्तान-ए-इश्क" भाग-1(कविता)

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उठाया हूँ फिर से कलम अपने जज्बात लिख रहा हूँ। हाँ मैं फिर से बेवफा सनम की औकात लिख रहा हूँ।। पहली बार देखा उसे, कुछ अजीब से आहट हुई। बोलने का दिल किया लेकिन, दिल मे घबड़ाहट हुई।। हसीनाएं बहुत थी अगल बगल, लेकिन वो कुछ खास थी। बयां नही कर सकता शब्दो मे, कुछ ऐसी एहसास थी।। लेकर उसकी यादों को, दिल की बात लिख रहा हूँ। हाँ मैं फिर से बेवफा सनम की औकात लिख रहा हूँ।। फिर एक दिन नजरें मिली उससे, वो देख कर मुस्कुराई थी। आंखों में एक चमक लेकर, वो नजर झुका शरमाई थी।। दोस्त की शादी का माहौल था, खुशियों की वो रात थी। लूडो खेलने के बहाने, हो रही हमारी बात थी।। मुहब्बत की बढ़ी कहानी, यादगार वो रात लिख रहा हूँ। हाँ मैं फिर से बेवफा सनम की औकात लिख रहा हूँ।। नहीं पता क्यों, पर मैं अंदर से थर्राया था। जब पहली बार उसको, सीने से लगाया था।। महीने बीत गए, मुहब्बत की कस्ती यू हीं चलती रही। दिलों में प्यार की कलियां, तेजी से खिलती रही।। अब यहाँ से मैं कहानी का बदलते हालात लिख रहा हूँ। हाँ मैं फिर से बेवफा सनम की औकात लिख रहा हूं।। बात है उस दिन की, जब वो मिलने की इच्छा जताई थी। सुन कर जगमग हुई मेरी दुनिया, बांछे

"दास्तान-ए-दर्द"

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यू तेरा मुस्कुराना, थोड़ा सा शर्माना, दूर ना रह पाना, और पास आकर इतराना, मुझे आज भी याद है।। मेरी खरोच पर आशु बहाना, चीखना और चिलाना, पहले जी भर कर डाँटना, फिर मुझे समझाना, मुझे आज भी याद है। सुन मेरी आवाज, हल्के से मुस्कुराना, बिन किये बात, चैन नही पाना, पूछने पर हाल करना बहाना, कारण आंसू का कभी न बताना, मुझे आज भी याद है।। बदलते है रिस्ते, बदलती है रस्मे, तड़पते है दिल, टूटते है कसमे, छलकते है अश्क़, न होते अपने बस में, बन जाते हैं आसिर, जब डूबते तेरे नफ़्स में, तेरा वो गुनगुनाना, ना देख कर छटपटाना, मुझे आज भी याद है। वो सारी यादों को मिटा रहा हूँ, खुद को सितम-ए-दर्द दिखा रहा हूँ, ख़ामोश हो गई कलम मनीष की, अल्फाज बिहारी की गुनगुना रहा हूँ, भूल जाऊंगा तुझे, वादा है मेरा, जुबाँ की नहीं, दास्तान-ए-दिल बता रहा हूँ। लाख कर लूं कोशिस, भूल गया तेरी सूरत, पर तेरी वो सांसो की झंकार, मुझे आज भी याद है। मुझे आज भी याद है  । Written by #शायर_मनु_बिहारी

"प्यार कर के बताया जाय"(कविता)

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प्यार वो नहीं जो कह के बताया जाय! आओ जुदाई को सह के दिखाया जाय!! हुए बदनाम बहुत, इस बेदर्द जमाने में! जमाने बीत जाएंगे कई, ये आबरू पाने में!! दुनिया साली जाए भांड में, तू है सही दिल जानता है मेरा! दुनिया के सवालों को, जिरह कर के बताया जाय!! आओ जुदाई को सह के दिखाया जाय!! बाकूत का कोई नाम नहीं, है सुनना हमारा काम नहीं! पाक बहुत है हमारा रिश्ता, है कोई बदनाम नहीं!! आज खामोशियों से हीं बोल जाएंगे बहुत कुछ! नज़रों के जुबाँ से, कुछ कह के बताया जाय!! आओ जुदाई को सह के दिखाया जाय!! गलती हमारी नहीं, है कुछ बदनाम दीवानों की! मतलब हीं बदल दिए है साले, इश्क़ के फ़साने की!! प्यार में अक्सर पार कर जाते हैं, दरमियां सभी! हम-तुम इस बंदिश-ए-हद्द में रह के दिखाया जाय!! आओ जुदाई को सह के दिखाया जाय!! प्यार वो नहीं जो कह के बताया जाय! आओ जुदाई को सह के दिखाया जाय!! Written by #शायर_मनु_बिहारी

"गुमनाम शायर"(कविता)

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मैं एक गुमनाम शायर हूँ। बोल नहीं पाता, क्यों कि बचपन से कायर हूँ।। मैं एक गुमनाम शायर हूँ।। मुझे एक लड़की बहुत पसंद थी। मेरे दिल में वो नजरबंद थी।। पर, दिल ही दिल मे घुट कर रह गया। क्यों कि बचपन से कायर हूँ।। मैं एक गुमनाम शायर हूँ।। एक दिन ऐसा आया था,  उमड़ पड़े थे जज्बात। और मैंने कहा दी अपने दिल की बात।। पर डर के मारे ये भी कह दिया, मैं सबसे बड़ा लायर हूँ। क्या करता, मैं तो बचपन से कायर हूँ।। मैं एक गुमनाम शायर हूँ।। पर ये मनु बिहारी,  नहीं चुकेगा अबकी बारी। दिल मे अब भी जलती है, धीमी धीमी चिनगारी।। और वो जहाँ भी रूबरू हो तो, ऐसा लगता है To Much On The Fire हूँ।। मैं एक गुमनाम शायर हूँ।। मैं एक गुमनाम शायर हूँ।। Written by #शायर_मनु_बिहारी