"मखमली रिश्ते"(कविता)
मखमली रिश्ते मतलबी हो गए
कल तक जो गुंडे थे,नबी हो गए
मेरे खास थे, उन्हें सच कह दिया
एक पल में वो अजनबी हो गए
तेरे गेसूओं के साये में क्या लेटे
सब भूल, आराम तलबी हो गए
वो बसंत बनके आए जिंदगी में
सपने मेरे लाल, गुलाबी हो गए
मैं बताऊं, क्यों पीते हैं वे इतना
इश्क में ठुकराए, शराबी हो गए
महफिलें क्या बंद कर दी मैंने
मेरे सारे दोस्त फरेबी हो गए
हमसे जरा सी खता क्या हो गई
वो मेरे दुश्मनों के करीबी हो गए
Written by कमल श्रीमाली(एडवोकेट)
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