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"फ़िज़ूल की बातें"

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 ये लोग जो इधर-उधर की बातें करते हैं, सब के सब फ़िज़ूल की बातें करते हैं  । ख़ुद के गुनाह पर्दे में ऱखकर घूमते हैं जो, वहीं सब मेरी हर भूल की बातें करते हैं । आईने जो दिल के अपने साफ़ ना कर सकें, दर पर अपने जो इंसाफ़ ना कर सकें । गिरेबां ख़ुद का मेला पड़ा हैं जिनका, वो लोग मेरे चेहरे पर पड़े धूल की बातें करते हैं । ये लोग जो इधर-उधर की बातें करते हैं, सब के सब फिज़ूल की बातें करते हैं । Written by  #अविनाशरौनियार

"अपनों के जुबां गैरों के कान"(कविता)

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  जुबां कानों में फुसफुसा रहा हैं मसला क्या हैं धुआं धुआं सा उठ रहा आसमान में जला क्या हैं मेरे घर की बरबादियाँ मेला सी हैं तुम्हारी खातिर हंसते हुए पूछता हूँ कि फ़िर जलजला क्या हैं खुशियां रूठ कर जा रहीं मेरे दुश्मनों के घर ग़म कर रहे मेरे फटे से चादर में बसर खुशियां गम हंसी आँसू इनमें बला क्या हैं सहर बीत गया अब रात ज़ाहिर हुए अदावतें करने में अब दोस्त माहिर हुए रौशनी फ़िर भी ना बुझी तो फ़िर ढला क्या हैं जुबां कानों में फुसफुसा रहा हैं मसला क्या हैं धुआं धुआं सा उठ रहा आसमान में जला क्या हैं Written by  #अविनाशरौनियार

शायरी

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 क्या कहे हम कि कहने को कुछ बाक़ी ना रहा घाव पर घाव मिल रहे सहने को कुछ बाक़ी ना रहा हाथ पकड़ लो ले चलो अपने दिल के किसी कोने में लग रहा इस जहां में रहने को कुछ बाक़ी ना  रहा अजब सी आबोहवा है यहां अजब ये घुटन सी है सांसे है सुलगती हुई सीने में अलग चुभन सी है बह रही रक्त धारा बहने को और कुछ बाक़ी ना रहा क्या कहे हम कि कहने को कुछ बाक़ी ना रहा।  Written by  #अविनाशरौनियार

शायरी

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 रहो किसी नशे में मग़र हालात-ए-होश भी जरुरी है कुछ रिश्तो में लब हमारे ख़ामोश भी जरुरी है  गलतियां जो है ये सुबूत है हमारे इंसान होने की  ख़ुदा न समझे ख़ुद को इसलिए लहज़े में दोष भी जरुरी है  धड़कनो का क्या है चलेंगी जब तक ज़िंदगानी रहेगी  हम न रहेंगे तब भी हवाओ में हमारी कहानी रहेगी  रिश्ते जो बनेंगे दरमियाँ वो हमें ही निभानी रहेगी इश्क़-ए-एहसास की ख़ातिर सांसे मदहोश भी जरुरी है। Written by  #अविनाशरौनियार