"मेरा पिता"(कविता)

 पिता दिवस पर समर्पित कविता


अतुलनीय है ब्रह्मांड का बहुमूल्य रत्न 

पित्र तात जनक बाबा संबोधनों से जिसे जाना गया है। 

संसार में संतान हित जो करे संघर्ष नित

ऐसी प्रेम विश्वास की साकार मूर्ति को पिता माना गया है।।


पिता जिसका अस्तित्व आकाश से ऊंचा है 

  एक तन संतान को निज रक्त से सींचा है ।

निस्वार्थ है प्रेम जिसका संतान के प्रति 

लड़ जाता है हर तूफान से वह पिता है ।।


मेरी पहचान और स्वाभिमान पिता है। 

आशीष छत्रछाया में आसमान पिता है ।

स्नेह  का धरातल  पिता है

मेरा तो भगवान पिता है ।।

Written by आशीष बाजपेयी


Comments

  1. संपादक मंडल को बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

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