"बावले सपने 2020" (कविता)
सो गया था, हा हा मै खो गया था, इन बावले सपनो में। जब जगना था तब नहीं जगा, अँधेरी रातो को अपना समझा। इसने ठगा या उसने ठगा, पता नहीं किसने ठग। हा, मै उसका हो गया था, हा हा मै खो गया था , इन बावले सपनो में। अब सूरज भी नया है, इसकी लालिमा भी नयी है, बावले सपने भी अब धूमिल है , लक्ष्य भी ज्ञात है, हा, अब नई शुरुवात है। मत याद दिलाओ उन पुराने लम्हो को, आज सुबह मै सूरज को देख कर रो रहा था। हा, मै सो गया था, हा हा मै खो गया था, इन बावले सपनो में। Written by #atsyogi