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"गुजर जाएगा"(कविता)

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दौरे मुश्किल है, तो गुजर जाएगा, बाद स्याह रात, कल सहर आएगा।  गुल जो बिखर गये गुलशन के आज, गुलिस्ता फिर कल सवर जाएगा।  सच बदलता नहीं मुकर जाने से आकुल, क्या हुआ जो तू मुझसे नजर छुपाएगा।  हौसला है तो हर ख़ुशी है कदमो पे, बढ़ा कदम तू सब कर गुजर जाएगा।  मौत तो आनी है, इक रोज सभी को, तो क्या, वक्त से पहले ही गुजर जाएगा।   Written by आनंद आकुल

"ऊ ऐ स्वाहा"(ग़जल)

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जो लब्ज होठों से निकलते नहीं, वो फिर सम्हाले, सम्हलते नहीं।  आ जाते है अश्क बनके निगाहों में, किसी सूरत भी पलको पे ठहरते नहीं।  कैसे कहें तेरी गुर्बत में हाल है क्या, खामोश हूँ, ऐसा नहीं के मचलते नहीं।  रख ली कद्र इश्क की, बेताब परवानो ने, वर्ना इसकदर कभी वो जलते नहीं।  उम्र की दहलीज भले बढ़ती चली जाए, कुछ शख्स है जो कभी ढलते नहीं।  ठोकरे लगती है इल्म बढ़ाने की खातिर, क्यूँ फिर लोग गिरके सम्हलते नहीं।  भूल के भी ऐसी नादानी मत कीजिए, व्यर्थ इस तरह से पानी मत कीजिए।  कोशिशें जो हो रही भविष्य सवारने की, आप उसको पानी-पानी मत कीजिए।  दोहराए कल जमाना आप की नादानियों को, आज कोई ऐसी कहानी मत कीजिए।  प्रकृति है आपकी अनमोल धरोहर एक, आप का ही अंग है ये हानि मत कीजिए।  पानी सिर्फ पानी नहीं, जीवन है आपका, अपने जीवन को यु बेमानी मत कीजिए।  Written by आनंद आकुल