"चाहता हूँ"(कविता)
मैं ख़ुद को लिखना चाहता हूँ।
गुनाह क़बूल करना चाहता हूँ।
एक बार ऐ ज़िंदगी हमें मौका
तो दे मैं फिर से जीना चाहता हूँ।
अपनी गलतियों, को सुधार कर
मैं अच्छा इंसान बनना चाहता हूँ।
नफ़रतों का दौर भुलाकर मैं प्यार
अपनापन, जताना चाहता हूँ।
टूटे रिस्तो को वापिस जॉड कर
मैं एक नया परिवार। चाहता हूं।
खुद को लूटा कर मैं सभी के
दिलों पर राज करना चाहता हूँ।
थक गया ख़ुदको लिखतें हुए अब
मैं सभी को याद आना चाहता हूँ।
Written by नीक राजपूत
लाजवाब रचना ।
ReplyDeletesuperb....
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