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"मनमोहक"(हाईकू)

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मन केक्टस क्यारी बड़ी न्यारी उगे हैं शूल मनमोहक वो चांद वो सितारे लगा ग्रहण बसंती हवा फूले पलाश वन जले है मन बहती नदी गरजते बादल बरसे कहीं Written by  अनुपमा सोलंकी

"सेदोका (जापानी विधा)"

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रे बचपन! टूट टूट बिखरा बिखरा तो निखरा अब सम्पन्न ख़ूब मेरा जीवन धन्यवाद अर्पन बचपन ने कैसी मारी ठोकर बन गया जोकर काम तमाम है औरों के हाथ में अब मेरी लगाम बचपन से लकवाग्रस्त हूँ मैं लेकिन मस्त हूँ मैं पैरालम्पिक सिद्ध हुआ आशीष अब हूँ न्यायाधीश खानाबदोश बेचारे भूबलिया क़िस्मत भी छलिया चित्तौड़गढ़ जाने कब छूटा था मुगलों ने लूटा था Written by  विद्यावाचस्पति देशपाल राघव 'वाचाल'

"हाईकू"

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मन ये चाहे इकतारा सा बजे   कुछ न पाये    मानी बंदिशें स्वप्न हुऐ खंडित    न अविश्वास      पूजे पत्थर धागे बांधे मन्नत के    तुम न माने    अधूरे स्वप्न रिश्तों के श्रंगार   अब हैं झूठे    उड़ी सुगंध सूखे मन के पुष्प    मै  पथभ्रष्ट Written by  अनुपमा सोलंकी

"हाईकू"

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रिश्ते नाते अनबूझ पहेली अब लगते है मृगतृष्णा नहीं कोई अपना बीता जीवन मोह के धागे अब लगे टूटने चटके मन लागी लगन तोड़ा मोह बंधन मन संगम आर या पार  नैया बीच भँवर  बंसी की धुन राग से विराग उड़ चला है मन न कोई आस Written by  अनुपमा सोलंकी