"खुद से खुदा तक की यात्रा"(कविता)
आध्यात्मिकता ओढ़ने की वस्तु नहीं अपितु आत्मा का गीत है जो स्वतः ही स्फुरित होता है यहाँ नर्तन भी है ,आह्लाद भी , और आह्लाद से भरी हुई खामोशियाँ भी, जब बाहर का प्रत्येक रस्ता मुड़ता है भीतर की ओर तो, खुलता है एक द्वार जो ले जाता है हमें वहाँ जहाँ एक दर्पण सदियों से कर रहा है हमारा ही इन्जार, जिसकी एक झलक मात्र से मिट जाते हैं सभी भ्रम कि खुदा कौन है ! कृष्ण कौन है किसके लिये भटक रहे थे हम आदिकाल से ..! खुद से खुदा तक की यात्रा ही आध्यात्मिकता है... Written by सुमन जैन 'सत्यगीता'