"आचरण ही जीवन मर्म"(कविता)

आचरण ही जीवन का समझाता है मर्म, 

बिना आचरण न होवे जीवन कर्म।

आचरण-------


निर्मल आचरण से मनुष्य पूजा जाता देव समान।

बुरे आचरण से समझा जाता पशु समान।

आचरण-------


पर नारी, परधन का जो मान रखें,

सदा बड़े, बूढ़ो का ध्यान रखें।

नित्य मंगल हो, उसका।

आशीषों का ढेर लगे।

आचरण-------


कभी न अकाल मृत्यु का  ग्रास बने।

सौ बर्ष की उम्र को वो पार करें।

आचरण------- 


आचारवन श्री राम थे, महिमा अब भी गायी जाती है।

शिवाजी भी मातृभक्त थे,

अब भी जाने जाते हैं।

आचरण-------


अनुसूइया,सावित्री भी

आचरण से ही महान है।

नित कर्म से अपना भाग्य बदला है।

आचरण-----


इतिहास उठा लो,या आज भी देखो अपनाकर। 

आचरण वान श्रेष्ठ थे,श्रेष्ठ है और श्रेष्ठ रहेंगे।

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