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Showing posts with the label आशुतोष मिश्र सांकृत्य

"तेरी मोहब्बत मेरी नौकरी"(कविता)

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आंखो  में  अश्कों  का सैलाब है ! तेरी   मोहब्बत   मेरा   जॉब है  ! हारूं मैं या जीतूं नहीं गम है मुझको ! मेरे  नजर   में  तू  एक खिताब  है ! तेरी   मोहब्बत   मेरा   जॉब  है ! आंखों से आंसू की बूंदें रिसकती ! तुझसे हो दूर  तारे  हैं  गिनती ! मिलने को दिल ये अब बेताब है ! तेरी  मोहब्बत  मेरा  जॉब  है ! बेचैन आंखे हैं रोती सिसकती ! देखे  तुम्हे बस नजर ये तरसती ! मिलने का तुझसे मेरा ख्वाब है ! तेरी  मोहब्बत मेरा  जॉब  है  ! कैसे भुलाऊं  वो लम्हें  पुराने ! हैं याद मुझको पल वो सुहाने ! चेहरे पे तेरे  क्यों ये नकाब है ! तेरी  मोहब्बत  मेरा  जॉब  है ! Written by  आशुतोष मिश्र 'सांकृत्य'

"मुक्तक"

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कृष्ण से प्रेम कर राधिका हो गई ! साधना सिद्ध कर साधिका हो गई ! मेरे तन में समाई है प्रकृति से वो! पूज्य अंगुलि मेरी अनामिका हो गई ! राम के भक्त प्यारे हनुमान हैं ! रुद्र अवतार शिव के हनुमान हैं ! जन्म देकर हुईं धन्य मां अंजना ! केसरी के नन्दन वो हनुमान हैं!  चैत्र नवमी को जन्मे थे श्री राम जी ! काटे जन जन के दुःख थे श्री राम जी ! मैं हूं करता नमन मर्यादा की प्रतिमूर्ति को ! मेरे तन मन हृदय में हैं श्री राम जी ! Written by  आशुतोष मिश्र 'सांकृत्य'

"हम तो हरवक्त तुझे याद किया करते हैं"(कविता)

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हम तो हर वक्त तुझे याद किया करते हैं ! सोते जगते भी तेरा नाम लिया करते हैं ! तेरी बातों से ही सुलझा हुआ था मैं इतना ! अब तेरी तस्वीर से ही,बात किया करते हैं ! कि हम तुम भी कभी साथ साथ रहते थे ! अब तुझे देखने को दिन रात तरसा करते हैं ! कभी वो रातें थी जब हम sms ही गिना करते थे ! तेरी आंखों से हम तारे ही गिना करते हैं !  हम तो हर वक्त, तुझे याद किया करते हैं !  हरदम मुझे हसांती थी प्यारी तेरी हसीं !   तुझ से बिछड़ कर है सनम कैसी बेबसी !   तेरे साथ पढ़ना तेरे साथ चलना !   तेरी यादों में तेरी राह तका करते हैं ! हमतो हर वक्त तुझे याद किया करते हैं ! Written by  आशुतोष मिश्र 'सांकृत्य'

कुंडलियां

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कोरोना के चलते सबकी हो गई बंटाधार ! उसने भारत पर किया फिर दूजा प्रहार ! फिर दूजा प्रहार कि सबजन रोएं भारी ! हे प्रभु इस संसार पे कैसी विपदा डारी ! विद्यालय सब बंद आ रहा सबको रोना ! मास्क पहन लो यार चल रहा है कोरोना !  साईं अब हर लीजिए संकट देश का आप ! जाए कोरोना विश्व से काटो सबके पाप ! काटो सबके पाप चहुँ ओर आए खुशहाली ! मिले आदेश सरकार का लाएं घरवाली! मास्क पहन कर चलो लो दो गज दूरी भाई ! जाओ अब संसार से कोविड 19 गोसाईं! Written by  आशुतोष मिश्र 'सांकृत्य'

"छात्रन की हुइ गई बंटाधार"(कविता)

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 हमरी नाव लगाओ पार छात्रन की हुइ गई बंटाधार ! जब से आवा कोरोना यार पढ़ाई कि हुई गई बंटाधार ! सारे काम तौ जारी हैं काहे बंद पड़ी पढ़ाई ! नेता जी कुर्सी के चक्कर मे काहे करत लड़ाई ! वोट डारी के खुदय बोलावत जनता धोका खाई ! राजनीति के दलदल मां हैं फसे विद्यार्थी यार ! हमरी नाव लगाओ पार, पढ़ाई कि हुई गई बंटाधार ! शुभ कार्य सब बंद पड़े हैं अब न मिलत लुगाई ! गले प्रेम से मिल न पाई कोरोना चपटा जाई ! भागी जा कोरोना तू कतना सबका रोवाई ! बढ़ा प्रकोप है तेरा फिर से कॉलेज बंद हुई जाई ! लेकिन सत्ता के मालिक रैली करिहें सरकार ! हमरी नाव लगाओ पार पढ़ाई कि हुई गई बंटाधार ! छात्रों की नाव लगाओ पार छात्रन कि हुई गई बंटाधार ! Written by  आशुतोष मिश्र 'सांकृत्य'