"योग दिवस"(लेख)

 योग दिवस(लेख)
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कल पितृ दिवस था,आज योग दिवस हर दिन कोई न कोई दिवस ही है।

चलिए आज बात करते हैं, योग दिवस की।आज समाज बहुत सजग है,जगह-जगह आज के दिन योग करते लोग मिल  जायेंगे।विभिन्न संस्थान भी  अपनी-अपनी तरह से इस दिवस को मनाते हैं। योग आज के युग में लोगो के मन मस्तिष्क तक पहुँच रहा है।मनुष्य ने न केवल योग सीखा है, ब्लकि  योग को अपने जीवन की दैनिक चर्या शामिल किया है, जो उचित भी है योग के माध्यम से हमारा शरीर स्वस्थ एवं हष्ट-पुष्ट रहता है।

निरन्तर योग करते रहने से असाध्य रोगों से छुटकारा भी मिल जाता है।इस भागम-भाग भरें जीवन में सभी क्रियाएँ जटिल हो गई है, जिसका एक कारण मनुष्य का भौतिकता की ओर उन्मुख होना है।सभी भाग-भाग कर अपना काम करते हैं और जल्दी काम निपटाने के लिए वे मशीनों पर निर्भर हो गए हैं।ऐसे में अपने स्वास्थ्य के लिए योग की ओर उन्मुख होना स्वाभाविक है।

आज हम जो योग कर रहे हैं, पूर्व समय में यह दैनिक जीवन की सहज क्रियाएँ थी,जैसे-साईकिल चलाना, सुबह-सुबह स्त्रियों द्वारा चाकी चलाना, दही बिलोना ,मीलों तक पैदल चलना।अब यही सारी क्रियाएँ हम योग में करते हैं, कुछ व्यायाम में आर्थिक खर्च भी हो जाता है, जैसे-"साईकिल" आजकल मनुष्य ऊँची शान और दिखावा के कारण न तो साईकिल से चलते हैं और न ही पैदल।जब डाक्टर उन्हें साईकिल की एक्साइज बताते हैं तो ,एक्साइज साईकिल ले लेते हैं।

उसी प्रकार सुबह-चाकी चलाने से और दही बिलोने से स्त्रियों का स्वास्थ्य ठीक रहता था क्योंकि यह दोनों क्रियाएँ, भोर होते ही बिना कुछ खाये-पियें होती थी ,जिससे उनका योग अपने-आप ही हो जाताथा।

कहीं-कहीं गाँवों में कुछ घरों में यह काम अब भी होते हैं।

पर शहरों में जरा मुश्किल है अतः वे सभी योग ही अपनायें।

"मेरे पिताजी बताया करते हैं कि जब वे कक्षा पाँच या छह  में पढ़ा करते थे, तब उनके समय में स्कूल इतने पास नहीं हुआ करते थे, स्कूल दूर होने की वजह से वे पैदल ही जाया करते थे क्योंकि उस समय सावारियाँ भी कम चलती थी।

आज लोग चलते तो बाईक और कार से हैं ,इसलिए वे सुबह-ही टहलने निकल जाते हैं।

मित्रों पूर्व समय में योग अपने सहज क्रियाओं में भी विद्यमान था पर आज नहीं ।आज यह योग न केवल देश ब्लकि विदेशों में भी भ्रमण करने पहुँच गया है.

अंत में बस इतना ही कहूँगी कि योग को हम अपने जीवन में सहज क्रियाओं द्वारा अपनायें या प्रतिदिन योग अभ्यास करें।दोनों ही स्थितियों में योग को अपने जीवन में अवश्य स्थान दें।

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