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"मुक्तक"

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कृष्ण से प्रेम कर राधिका हो गई ! साधना सिद्ध कर साधिका हो गई ! मेरे तन में समाई है प्रकृति से वो! पूज्य अंगुलि मेरी अनामिका हो गई ! राम के भक्त प्यारे हनुमान हैं ! रुद्र अवतार शिव के हनुमान हैं ! जन्म देकर हुईं धन्य मां अंजना ! केसरी के नन्दन वो हनुमान हैं!  चैत्र नवमी को जन्मे थे श्री राम जी ! काटे जन जन के दुःख थे श्री राम जी ! मैं हूं करता नमन मर्यादा की प्रतिमूर्ति को ! मेरे तन मन हृदय में हैं श्री राम जी ! Written by  आशुतोष मिश्र 'सांकृत्य'