"पिता कि शान"(कविता)
ज़िन्दगी के हर हिस्से से पहचान बहुत है। पिता से जीवन में शान और सम्मान बहुत है। -------------------------------------------------- पीता हर आपदाओं से पहले पहचान जाता है। वक्त के हर घटनाओं से प्रभावित है, इस लिए जान जाता है। ------------------------------------------------------ पिता ओ कोहिनूर हीरा है,हर पल ऊजाला देता है अंधेरा तो इर्द-गिर्द भटकता नहीं हर संकटों को सम्भाल लेता है। ------------------------------------------------------- कभी अंगुली को पकड़ें कर चलना सिखाया। कभी आपनी डांट फटकार से सही रास्ता दिखाया। --------------------------------------------------------- कभी टूटते हौसले के नया हौसला दिया । कभी बड़ी से बड़ी गलतियों को माफ कर दिया। --------------------------------------------------------- धूप गर्मी बरसात से लड़ता रहा परिवार के लिए। परिवार से ही परिवार के लिए दूर चला गया परिवार के लिए। ------------------------------------------------------- पिता की अहमियत कभी भी कम नही होता । दर्द को झेलते हुए भी आखें नम नहीं होता। -----------------------------------