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शायरी

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 क्या कहे हम कि कहने को कुछ बाक़ी ना रहा घाव पर घाव मिल रहे सहने को कुछ बाक़ी ना रहा हाथ पकड़ लो ले चलो अपने दिल के किसी कोने में लग रहा इस जहां में रहने को कुछ बाक़ी ना  रहा अजब सी आबोहवा है यहां अजब ये घुटन सी है सांसे है सुलगती हुई सीने में अलग चुभन सी है बह रही रक्त धारा बहने को और कुछ बाक़ी ना रहा क्या कहे हम कि कहने को कुछ बाक़ी ना रहा।  Written by  #अविनाशरौनियार

शायरी

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 रहो किसी नशे में मग़र हालात-ए-होश भी जरुरी है कुछ रिश्तो में लब हमारे ख़ामोश भी जरुरी है  गलतियां जो है ये सुबूत है हमारे इंसान होने की  ख़ुदा न समझे ख़ुद को इसलिए लहज़े में दोष भी जरुरी है  धड़कनो का क्या है चलेंगी जब तक ज़िंदगानी रहेगी  हम न रहेंगे तब भी हवाओ में हमारी कहानी रहेगी  रिश्ते जो बनेंगे दरमियाँ वो हमें ही निभानी रहेगी इश्क़-ए-एहसास की ख़ातिर सांसे मदहोश भी जरुरी है। Written by  #अविनाशरौनियार

"गुमनाम शायर"(कविता)

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मैं एक गुमनाम शायर हूँ। बोल नहीं पाता, क्यों कि बचपन से कायर हूँ।। मैं एक गुमनाम शायर हूँ।। मुझे एक लड़की बहुत पसंद थी। मेरे दिल में वो नजरबंद थी।। पर, दिल ही दिल मे घुट कर रह गया। क्यों कि बचपन से कायर हूँ।। मैं एक गुमनाम शायर हूँ।। एक दिन ऐसा आया था,  उमड़ पड़े थे जज्बात। और मैंने कहा दी अपने दिल की बात।। पर डर के मारे ये भी कह दिया, मैं सबसे बड़ा लायर हूँ। क्या करता, मैं तो बचपन से कायर हूँ।। मैं एक गुमनाम शायर हूँ।। पर ये मनु बिहारी,  नहीं चुकेगा अबकी बारी। दिल मे अब भी जलती है, धीमी धीमी चिनगारी।। और वो जहाँ भी रूबरू हो तो, ऐसा लगता है To Much On The Fire हूँ।। मैं एक गुमनाम शायर हूँ।। मैं एक गुमनाम शायर हूँ।। Written by #शायर_मनु_बिहारी

"एक छोटी सी मुस्कान" (कविता)

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एक छोटी सी मुस्कान। करती है हमारा सारा काम बड़ी से बड़ी चीज करती है आसान डर पर अमल करना सिखाती है नहीं है इस को हराना आसान एक छोटी सी मुस्कान। हौसला बढ़ाती है डर को भगाती है कांटो पर हस कर चलना सिखाती है गिरने से हर वक्त बचाती है हस के हर काम को करना सिखाती है एक छोटी सी मुस्कान।  गिरने पर उठना सिखाती है मैदान में डटे रहना सिखाती है बातों को हस कर सहना सिखाती है हस के लक्ष्य पर चलना सिखाती है  एक छोटी सी मुस्कान। जिंदगी को जीना हस के सिखाती है लोगों में प्रेम की भावना जगाती हैं छोटी चीजों में खुशियां दिखाती है हस के बड़ी सीख दे जाती है एक छोटी सी मुस्कान। Written by  #LekhikaNehaJaiswal

"खाने की चाहत"(कविता)

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छोटी सी उम्र है चार पैर है। ना है अंधेरों से डर ना है गर्मी से डर ना है वर्षा से डर ना है ठंड से डर है बस खाने की चाहत। ना है घर की चाहत ना है लोगों को हमारी कदर दूर-दूरा कर लोग भगा देते हैं वफादारी करना बन चुकी हमारी आदत है बस खाने की चाहत। ना है कपड़ों की चाहत ना है गहनों की चाहत ना है चोरी की आदत ना है उतना खेलने की आदत ना है रात को सोने की आदत है बस खाने की चाहत। ना है कोई सपना ना है कोई ख्वाहिश चोट पर ना है कोई मरहम की आदत ना है आंसू बहाने की आदत ना है उड़ने की कोई ख्वाहिश है बस खाने की चाहत। Written by  #LekhikaNehaJaiswal

"संघर्ष कर" (कविता)

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बढ़ा  कदम इतिहास रच, गर हो जज्बात, तो संघर्ष कर।  नदियाँ क्या,  चढ़ा पाल, सागर को भी पार कर, गर हो हिम्मत, तो लहरों से संघर्ष कर।  टीले या पर्वत क्या, हिमालय भी शीश झुका देगा, निर्णय तो कर, बढ़ा कदम संघर्ष कर।  बारिशों में क्या, तूफानों में भी अपनी चमक बिखेर, गड़गड़ाहट के साथ धरती को रोशन कर, दिया नहीं, बिजली सा संघर्ष कर।  लकड़ी की आग क्या, तू ज्वालामुखी है, उसके शोलो सा धधक, गर है आग, तो सूर्य के तेज से संघर्ष कर।  बढ़ा  कदम इतिहास रच, गर हो जज्बात, तो संघर्ष कर।  Written by  #atsyogi

"उसकी मुस्कान" (कविता)

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जब मैंने देखी उसकी मुस्कान, थम सी गई जमी - आसमां, थम सा गया पूरा जहान, थम सी गई ये रास्ते, थम सी गई मेरी सांसे, थम सा गया रवि का तेज, थम से गये ये पेड़।  वो सच है या जूठ  ये तो पता नहीं, पर मेरी आँखे ढूढ़े उसको, इस जहान में, पेड़ो के ओट में, इन पथरीली वादियों में, दिन के उजालो में, इन खामोश रास्तो में, खुद की सांसो में।  मैंने सोचा मेरी कल्पना है, मेरा सपना है, जैसे बिन मौसम की बारिश है, बिन आत्मा की शरीर है, बिन तीरो की तरकस है, बिन सूरज की लाली है।  जब मै मुड़ कर देखा, वो सच थी, मेरे होस उड़ाते, उसके चेहरे सच थे, उसकी खूबसूरती सच थी, उसकी नीली आँखे सच थी, उसकी यौवन सच थी, उसकी मुस्कान सच थी   ।  देखते ही उसकी मुस्कान,   मेरे धड़कन रुक से गये, थम सी गई धरती, थम सा गया आसमां, थम सा गया आसमां, थम सा गया आसमां।  Written by  #atsyogi  (06/02/2015)

"इस दुनिया से परेशान" (कविता)

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इस दुनिया से परेशान, यहाँ के लोगो को देख हैरान।  जो है झूठा, वह है पहलवान, जो सच्चा उसका कोई नहीं कद्रदान, जो है विकलांग, वह तो बहुत है हैरान-परेशान, जो नहीं विकलांग, वह सबसे बड़ा सैतान।  इस दुनिया में, जो मेहनत करता, वह रहता परेशान, जो मेहनती नहीं, उसके सभी है कद्रदान, परिवर्तन तो बहुत हुवे, लेकिन सबसे परिवर्तनशील इंसान।  यहाँ झूठ मलेरिया जैसे रोगो की तरह फ़ैल रहा, और सच का दिखता अंतिम निशान, झूठ को बदलने को कोई हो तैयार तो कैसे, क्यों की यहाँ हरतरफ है झूठे इंसान।  पूछा था बीरबल से अकबर ने, कितने है यहाँ अंधे इंसान, बीरबल सच ही थे, है सभी के पास ज्ञान, फिर भी सभी के सभी अंधे है इंसान।  मै सोच कर रहता परेशान, क्या यही है यह, गाँधी और टेरेसा की दुनिया, जहाँ जन्म लिये ऐसे भी इंसान, नहीं यह हो नहीं सकता, गाँधी और टेरेसा की दुनिया, क्यों की पता नहीं, यहाँ कैसे-कैसे है इंसान।  इस दुनिया से परेशान, यहाँ के लोगो को देख हैरान।  Written by  #atsyogi (03/11/2012)

शायरी

पत्थर नहीं हूं मैं मुझमें भी नमी है, दर्द बयां नहीं करता बस इतनी सी कमी है । ।।1।। मत बनाओ गुमानो का महल, दीवारे काटने को दौड़ेगी, यकी नहीं तो खँडहरो से पूछो, तजुरबे-ए-हालत सब कुछ बया कर देगी।   ।।2।। #atsyogi

"बावले सपने 2020" (कविता)

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सो गया था, हा हा मै खो गया था, इन बावले सपनो में। जब जगना था तब नहीं जगा, अँधेरी रातो को अपना समझा। इसने ठगा या उसने ठगा, पता नहीं किसने ठग। हा, मै उसका हो गया था, हा हा मै खो गया था , इन बावले सपनो में। अब सूरज भी नया है, इसकी लालिमा भी नयी है, बावले सपने भी अब धूमिल है , लक्ष्य भी ज्ञात है, हा, अब नई शुरुवात है। मत याद दिलाओ उन पुराने लम्हो को, आज सुबह मै सूरज को देख कर रो रहा था। हा, मै सो गया था, हा हा मै खो गया था, इन बावले सपनो में। Written by #atsyogi  

"गलतियाँ" (कविता)

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  हृदय में कई प्रशन छोड़ जाती है गलतियाँ किसी से हो जाती है गलतियाँ तो किसी की महान होती है ___ तो किसी को बर्बाद करती है ___ तो किसी की ना - समझ होती है ___ तो किसी से कराई जाती है ___ तो किसी ने प्रेम में की ___ तो किसी ने नफ़रत में की ___ तो किसी की शस्त्र है ___ तो किसी की व्यवहार है ___ कोई करता है गलतियाँ तो कोई कराता है ___ तो कोई मजबूर होता है करने को ___ तो कोई हमेशा करता है ___ तो कोई नफ़रत में करता है ___ तो कोई प्रेम में करता है __ तो कोई बर्बाद हो गया करके ___ तो कोई महान बन गया करके ___ तो कोई यु ही नहीं करता ___ क्या है ये गलतियाँ क्या फूलो जैसी सुगन्धित होती है ___ तो क्या फलो से रसीली होती है ___ तो क्या मजबूरी में होती है ___ तो क्या मै हमेशा करता हूँ ___ तो क्या मैंने नफ़रत मे की वो __ तो क्या वो प्यार मे करता था __ तो क्या वह बर्बाद हुआ करके __ तो क्या उसकी अंतिम थी वो __ क्यों की उसने वो अंतिम गलतियाँ तो क्यों किसी से हो जाती है ___ तो क्यों उसने बर्बाद की दुसरो को करके __ तो क्यों वह संभल नहीं सकता था करने से पहले ___ तो क्यों विधाता ने बनाई ये ___ तो क्यों अमिट होती

"वो रात" (कविता)

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शाम होते ही घबरा सा गया मैं, की अब क्या होगा मेरे जीवन में। सोचा, समझा, आगे बढ़ा, गीरा, उठा, दोबारा गीरा, उठा, अँधेरी रात(रात्रि) में। सुबह होते ही याद आया, की वो रात(रात्रि) कितनी लम्बी थी, की वो रात(रात्रि) कितनी लम्बी थी। Written by #atsyogi

"बच्चे की अभिलाषा" (कविता)

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मेरी लेखनी में गलत शब्द है या शब्द गलत लिखने दो ना परेशा क्यों हो लिखा हुआ शब्द मार्कर से लिखी थोड़ी है। मेरी चित्रकारी में आकाश नीला है या पीला बादल हरा है या सफ़ेद नदिया मैली है या साफ चित्रकारी करने दो ना परेशा क्यों हो एक चित्र है हकीकत थोड़ी है। मेरी सुझाव में शहद खट्टी है या कच्चे आम मीठे फलो के राजा आम हो या पपीते मुझे बताने दो ना परेशा क्यों हो हर सुझाव मानना जरुरी थोड़ी है। मेरी इरादे बहुत बड़े हो या छोटे बहुत मजबूत है या लचीले मुझे बुनने दो ना परेशा क्यों हो इरादे तो इरादे है कोई पक्की मकान थोड़ी है। मेरी मंजिल लम्बी हो या हो दो गज दुरी कल मिले या लग जाए जिंदगी पूरी लड़खड़ाने दो ना परेशा क्यों हो ये तो पहली कदम है आखरी थोड़ी है। मुझसे गलतिया होती है या करता हु गलतिया करने दो ना परेशा क्यों हो इसी से तो सीखूंगा आखरी थोड़ी है। Written by #atsyogi

"अंतिम मुलाकात " (कविता)

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आपको खोने या ना होने का ग़म तो है मुझे, जाने से पहले तो एक मुलाकात जरूरी थी । आपके सारे सपने अब मेरी अमानत है, बस उन सपनों के बारे में एक बात जरूरी थी । आपके पास कुछ मजबूरी तो रही होगी, वहां जाने की, फिर भी मुझे तो बतानी जरूरी थी । मै मानता हूं कि, अंतिम समय में अकेले से हो गए थे आप, फिर भी मै ये सोचता था कि, मेरी साथ तो जरूरी थी । मुझे पता था कि, हमेशा आपको लोगो ने इस्तेमाल किया, ये बात कितनी बार बोल चुका था, लेकिन इस बात को समझनी जरूरी थी । मै हमेशा सोचता था कि, मै रहूं या ना रहूं घर पर आप तो है न, इस बात को तो समझनी जरूरी थी । Written by #atsyogi

नवरोज पत्रिका, पुरस्कार तथा नगद राशी

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  नवरोज पत्रिका तथा नवरोज Family में आपका स्वागत है।  नवरोज पत्रिका मेरे द्वारा यानी  #atsyogi  द्वारा सम्पादित की जा रही है जिसके माध्यम से 21 वी० शताब्दी के लेखक-लेखिकाओं के लिए एक छोटी शुरुवात "Baby Step" है। इस पत्रिका में सभी वर्ग, धर्म सम्प्रदाय तथा सभी उम्र के लेखक-लेखिकाओं का स्वागत है। कोई भी व्यक्ति विशेष अपनी रचनाये WhatsApp के माध्यम से +919818256528 पर भेज सकते/सकती है। उनके/उनकी रचनाओं को 24 घंटे के अंतराल में इस पत्रिका पर स्थान दी जाएगी।  नवरोज पत्रिका से जुड़े लेखक-लेखिकाओं को वर्ष के अंत में पुरस्कार तथा कुछ नगद राशी द्वारा सम्मानित किया जायेगा जो मुख्यतः होगी।  Best Female Writer Of The Year By Navaoj Award or (BFWYN Award). Best Male Writer Of The Year By Navaoj Award or (BMWYN Award). People Choice of the Month by Navaroj for Female Certificate or (PCMNF Certificate). People Choice of the Month by Navaroj for Male Certificate or (PCMNM Certificate). पुरस्कार के मानक आधार लेखक-लेखिकाओं के Viewer पर आधारित है जैसे की कोई लेखक या लेखिका की 1 कविता या क