"इस दुनिया से परेशान" (कविता)
इस दुनिया से परेशान,
यहाँ के लोगो को देख हैरान।
जो है झूठा, वह है पहलवान,
जो सच्चा उसका कोई नहीं कद्रदान,
जो है विकलांग, वह तो बहुत है हैरान-परेशान,
जो नहीं विकलांग, वह सबसे बड़ा सैतान।
इस दुनिया में,
जो मेहनत करता, वह रहता परेशान,
जो मेहनती नहीं, उसके सभी है कद्रदान,
परिवर्तन तो बहुत हुवे,
लेकिन सबसे परिवर्तनशील इंसान।
यहाँ झूठ मलेरिया जैसे रोगो की तरह फ़ैल रहा,
और सच का दिखता अंतिम निशान,
झूठ को बदलने को कोई हो तैयार तो कैसे,
क्यों की यहाँ हरतरफ है झूठे इंसान।
पूछा था बीरबल से अकबर ने,
कितने है यहाँ अंधे इंसान,
बीरबल सच ही थे, है सभी के पास ज्ञान,
फिर भी सभी के सभी अंधे है इंसान।
मै सोच कर रहता परेशान,
क्या यही है यह, गाँधी और टेरेसा की दुनिया,
जहाँ जन्म लिये ऐसे भी इंसान,
नहीं यह हो नहीं सकता,
गाँधी और टेरेसा की दुनिया,
क्यों की पता नहीं, यहाँ कैसे-कैसे है इंसान।
इस दुनिया से परेशान,
यहाँ के लोगो को देख हैरान।
Written by #atsyogi (03/11/2012)
Nice post...
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