"उसकी मुस्कान" (कविता)
जब मैंने देखी उसकी मुस्कान,
थम सी गई जमी - आसमां,
थम सा गया पूरा जहान,
थम सी गई ये रास्ते,
थम सी गई मेरी सांसे,
थम सा गया रवि का तेज,
थम से गये ये पेड़।
वो सच है या जूठ ये तो पता नहीं,
पर मेरी आँखे ढूढ़े उसको,
इस जहान में,
पेड़ो के ओट में,
इन पथरीली वादियों में,
दिन के उजालो में,
इन खामोश रास्तो में,
खुद की सांसो में।
मैंने सोचा मेरी कल्पना है,
मेरा सपना है,
जैसे बिन मौसम की बारिश है,
बिन आत्मा की शरीर है,
बिन तीरो की तरकस है,
बिन सूरज की लाली है।
जब मै मुड़ कर देखा,
वो सच थी,
मेरे होस उड़ाते,
उसके चेहरे सच थे,
उसकी खूबसूरती सच थी,
उसकी नीली आँखे सच थी,
उसकी यौवन सच थी,
उसकी मुस्कान सच थी ।
देखते ही उसकी मुस्कान,
मेरे धड़कन रुक से गये,
थम सी गई धरती,
थम सा गया आसमां,
थम सा गया आसमां,
थम सा गया आसमां।
Written by #atsyogi (06/02/2015)
Wow... It's beautiful...
ReplyDeleteNice with lots of Love good Luck
ReplyDeleteWow....👌👌
ReplyDeleteSuper
ReplyDeleteअति सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत खूब
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