"वो रात" (कविता)



शाम होते ही
घबरा सा गया मैं,
की अब क्या होगा
मेरे जीवन में।
सोचा,
समझा,
आगे बढ़ा,
गीरा,
उठा,
दोबारा गीरा,
उठा,
अँधेरी रात(रात्रि) में।
सुबह होते ही
याद आया,
की वो रात(रात्रि) कितनी लम्बी थी,
की वो रात(रात्रि) कितनी लम्बी थी।
Written by #atsyogi

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