शायरी

 रहो किसी नशे में मग़र हालात-ए-होश भी जरुरी है

कुछ रिश्तो में लब हमारे ख़ामोश भी जरुरी है 

गलतियां जो है ये सुबूत है हमारे इंसान होने की 

ख़ुदा न समझे ख़ुद को इसलिए लहज़े में दोष भी जरुरी है 

धड़कनो का क्या है चलेंगी जब तक ज़िंदगानी रहेगी 

हम न रहेंगे तब भी हवाओ में हमारी कहानी रहेगी 

रिश्ते जो बनेंगे दरमियाँ वो हमें ही निभानी रहेगी

इश्क़-ए-एहसास की ख़ातिर सांसे मदहोश भी जरुरी है।

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