"विश्वास"(कविता)
जब अपने आप से भाग रहे थे
जब लक्ष्य से नजर भटक रहा था
हर रास्ते बंद हो रहे थे
अपने आप पर से विश्वास उठ रहा था
तब था उन सब को हम पर विश्वास
उसी वक़्त सोचा
चल कुछ कर दिखाते हैं नया
जिनको था हम पर विश्वास
अब उनके हौसले टूटने नहीं देंगे
यही है हमारा ख्वाब
है हमारे अपनों को
हम पर विश्वास
जब नहीं था हमें
कुछ कर दिखाने का साहस
तब उन्होंने वही से
बुना था एक ख्वाब
सोचते जागते घूमता था
मन में एक ही बात
क्यों है हमारे अपनों को
हम पर इतना विश्वास
क्या यही है हमारे अधूरे ख्वाब
या है और कुछ राज।
Written by #लेखिका_नेहा_जायसवाल
nice... heart touching.... superb....
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