"विरासत की शौक" (कविता)


जमाने से लोगों को विरासत की शौक

तख्त पर ना बैठ कर भी

लोगों को तख्त संभालने का शौक


लहू का रंग एक है

तब भी है लोगों को लोगों से बैर

नहीं है लोगों में एकजुट होने का शौक


मूल्यवान चीजों का है लोगों को शौक

मूल्यवान मनुष्य का नहीं है कद्र

धर्म जाति पर रोज होता है बहस

अपने आप को साबित करने में

ही लग जाते हैं लोग


पुराणों कथा पर है लोगों को गर्व

ज्ञान बांटना बन गया है शौक

उस पर खुद अमल करना नहीं है शौक


धर्म की बातें करना है आसान

 पुराणों कथा में भी तख्त का है जिक्र

विरासत के लिए युद्ध तक

लड़ने को है लोग तैयार

क्या तख्त है इतना महत्वपूर्ण

या बस है संभालने का शौक।

Written by #लेखिका_नेहा_जायसवाल

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