"तेरी कदर नहीं"(कविता)
तू है तो तेरी कदर नहीं
तू नहीं है तो तेरी कमी महसूस होती है।
वस्तु हो या इंसान
क्यों उसके खो जाने के बाद
उसका लिया जाता है नाम।
सामने देख कर भी अनदेखा कर देते
वह है तो उस से लड़ जाने को
लोग हो जाते तैयार।
उसके जाने के बाद
क्यों उसके लिए लड़ने को
भी हो जाते हैं तैयार।
क्या यही है लोगों की व्यवहार
क्या यही है लोगों की सोच
क्या बदलने को भी है लोग तैयार
क्या होता रहेगा ऐसा ही बार-बार
या नहीं है इंसानों को समझना आसान।
क्यों, तू है तो तेरी कदर नहीं
तू नहीं है तो तेरी कमी महसूस होती है।
Written by #लेखिका_नेहा_जायसवाल
Tu hai to teri kadar nhi... Nice one ☺️
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