"श्रम का स्वाद"(कविता)


गाँव से शहर के गोदाम में गेहूँ?

गरीबों के पक्ष में बोलने वाला गेहूँ

एक दिन गोदाम से कहा

ऐसा क्यों होता है

कि अक्सर अकेले में अनाज

सम्पन्न से पूछता है

जो तुम खा रहे हो

क्या तुम्हें पता है

कि वह किस जमीन का उपज है

उसमें किसके श्रम की स्वाद है

इतनी ख़ुशबू कहाँ से आई?

तुम हो कि

ठूँसे जा रहे हो रोटी

निःशब्द!

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