घिरनी

फोन पर शहर की काकी ने कहा है

कल से कल में पानी नहीं आ रहा है उनके यहाँ


अम्माँ! आँखों का पानी सूख गया है

भरकुंडी में है कीचड़


खाली बाल्टी रो रही है

जगत पर असहाय पड़ी डोरी क्या करे?


आह! जनता की तरह मौन है घिरनी

और तुम हँस रही हो |

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