"बुद्ध के रंग में रंगें हम"


अकुशल द्वेष ईर्ष्या 

घृणा गर्व है गोली,

त्याग चतुष्टय-दोष, 

बोलो मीठी बोली


बुद्ध वचन से भरे, 

तुम्हारी ज्ञान-झोली

संग रंगमंच पर 

झूमी-झूमी नाचे टोली


भक्तिरस में भींगी, 

करें हँसी-ठिठोली

उमंग-तरंग और 

रंगों का पर्व है होली।

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