"चिकित्सक दिवस"(कविता)

इस जगत के सम्पूर्ण चिकित्सक,

श्रद्धापूर्वक हम हैं नतमस्तक

प्रणाम मेरी स्वीकार करो 

बस इतना सा उपकार करो!!


देवरूप में मान तुमको 

हर प्राणी करता है आदर सम्मान,

रोग व्याधि से मुक्ति दिला कर

तुम देते हो अभयदान !!


कर जोर कर आग्रह करती हूं

मैं बारम्बार,

तुम हो  विधाता ,जीवन दाता

सुन लो मेरे सरकार!!


ऊपर वाला जन्म देता है

मगर नीचे का

 कर्ता धर्ता हो तुम ,

मरणासन से खींच लाते हो

दुःख, विषाद ,और 

रोग हर्ता हो तुम !!

चरक, सुश्रुत और जीवक

चिकित्सक बड़े महान थे,

 नई पीढ़ी ज्यादा विकसित हो

उनके बड़े अरमान थे !!


तुम हो उनके भावी पीढ़ी

उनको और आदर मान दो

उन महापुरुष रूपी ईश्वर को

निष्ठापूर्वक दिल से सम्मान दो


 वर्तमान के विकट घड़ी में

 महामारी का घाव बड़ा है,

कोविड जन जन के जान पर

हाथ धो कर  पीछे पड़ा है !!


इस धरा पर तुमसे बड़ा कोई

नहीं जान का रखवाला  है,

कुछ व्यभिचारी मानव इस 

नाम को कलंकित कर डाला है!!


अंतिम अनुनय है हमारी

तुम सदा कर्मपथ पे अग्रसर रहना,

अपनी सुरक्षा का भी ध्यान

रखते हुए ,हम सबकी भी करना!!

 अब तुम्हीं हो नईया ,तुम्हीं 

खेवैया, तुम्हीं हमारी रक्षा कवच हो,

इस दुनियां के झूठ ,छल के कारवां में 

उदित ज्योतिर्मय , प्रथम सच हो

तुम्हीं सच हो ,तुम्हीं सच हो !!

Comments

Popular posts from this blog

"जिस्म़"(कविता)

"बेटियाँ"(कविता)

"उसकी मुस्कान" (कविता)

"बुलबुला"(कविता)

"वो रात" (कविता)