"योग"(कविता)
प्रातः कालीन बेला में
नियमित जो भी
योग करेगा
तन-मन,अन्तर्मन से
जीवन -पर्यन्त
निरोग रहेगा !!
योग गुरु से पाकर ज्ञान
होता है जो अंतर्ध्यान
जीवनशैली जाती निखर
सकारात्मक होता असर!
जो भी प्राणी भ्रामरी, भस्त्रिका,शुचि,अनुलोम,
विलोम करेगा
मनः शुद्धिकरण होगा
रोम-रोम प्रफुल्लित होगा
सदा निरोग्य बना रहेगा
जीवन-सुख भोग्य
करता रहेगा !!
योग जीवन में
खुशियां लाता
परहित सेवा -भाव
सिखाता !!
ईश प्रदत
शक्ति साधन का
मान करें सम्मान करें,
सुंदर और सुदृढ़
व्यक्तित्व का
जीता जागता प्रमाण बने!
सर्व विभूति शक्तियों का
ये नश्वर तन धरोहर
गर परखी नजर से परखें
पाएंगे बहुमुल्य मोहर !!
यौगिक-क्रिया कलापों से
तन-मन को सँवार लें
वेद-पुराण-शास्त्र निहित
ज्ञान अन्तस् में उतार लें !
Written by वीना उपाध्याय
nice....
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