"विश्व समुद्र दिवस पर निम्न छन्द"
विश्व समुद्र दिवस पर सभी भारतवासियों को बधाई।साथ में एक विनम्र आग्रह है कि जल को बचाएं,पेंड पौधे बचाएं,पृथ्वी माता को मूल रूप में रहने दें,सफाई का ध्यान रखें।
विश्व समुद्र दिवस पर निम्न छन्द सिर्फ आपके लिये,,,
मथने को मथिये,हजार बार समुद्र नाथ,
सभी रत्न बाँटने को,देवगण तैयार हैं।
हमें मिले, हमें मिले, हमें मिले पहले प्रभू,
पंक्तिबद्ध खड़े हुये, ब्रह्म के अवतार हैं।
अमृत की एक बूँद, मिल जाये हमें यहॉं,
राक्षस भी देव बन,करते जय जयकार हैं।
विष का प्याला लिए,घूमें भूमि त्रिपुरारि,
कोई नहीं लेगा मयंक,मचाए हाहाकार हैं।।
हिमगिरि नदियों की,रहती है कृपा सदा,
बून्द बून्द जल भूमि,देतीं सिंधु दान हैं।
लौटकर लेतीं नही ,सेवा यश बोल कभी,
करतीं हैं पग पग,सागर का सम्मान हैं।
वेदों में गुणगान,महासिंधु का लिखा,
वरतीं हैं जलदेवी,करके बखान हैं।
दे दी है गहराई,बसुधा के गर्भ तक,
बहना नहींब्यर्थ कहीं,लगे मयंक निशान हैं।।
अनेकों जीव जंतु विशाल,रहते हैं उर सिंधु,
लड़ते हैं चक्रवात,जब तब तूफान से।
उठतीं हैं लहरें,चन्द्र गगन छूने को,
नाचतीं हैं दूर दूर,शीश उठा शान से।
छुपाए हुए अनमोल रत्न,मोती सीप शंख,
पाते हैं भक्त वही,जो माँगते सम्मान से।
हाथ जोड़ विनती,करता है महासमुद्र,
श्री रामलखन,देवमुनि,मयंक हनुमान से।।
nice...
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