"विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष,बहुरंगी दोहे"
विश्व पर्यावरण दिवस पर, समस्त भारतीयों को ह्रदय से बधाई।एक विनम्र निवेदन,,,कि आप एक पेड़ आज अवश्य लगायें, यदि नहीं लगा सकते,तो लगे पेंड को जल देना न भूलें।लगे पेंड़ की रक्षा करें।यह शुभ कार्य अपने सुखी जीवन के लिये जरूर करें।
हरियाली की खान हैं,पर्वत धरती पेंड।
नदी किनारे बाग की,बाँधे रखियो मेंड़।।
बरगद,पीपल,नीम की,छाया उत्तम जान।
देव ऋषी कहकर गये,ये औषधि की खान।।
पेड़ों बिन जीवन कहाँ, कहाँ साँस की आश।
बिन हरियाली है नहीं,धरा बीच उल्लास।।
रेतीली नदिया हुई,केवट पकड़े माथ।
भूख,प्यास कैसे मिटे,बोलो भोले नाथ।।
पर्वत सूखे हो चले,पेंड नहीं,नहि छाँव।
पथिक विमुख होकर कहे,छाले पड़ गए पाँव।।
चिड़िया रोती फिर रही,बिन डाली बिन फूल।
तितली,भौंरे सोंचते,कैसी उड़ती धूल।।
जंगल,बागें कट गयीं,शहर हुये आबाद।
खेत,गाँव, पोखर,कुआँ, खेती सब बर्बाद।।
पशु पक्षी भूखे दिखे,कहाँ रुकें,कहाँ ठौर।
लालच मानव का बढ़ा, कौन खिलाये कौर।।
धरती विपदा देखकर,मन विचलित है आज।
कूड़ा, कचरा,विष बहे,नाले उगले राज।।
बसुधा बंजर हो चली,अधिकारी सब मौन।
पेंड कटे,कैसे कहें,अपराधी है कौन।।
ए, सी,कूलर,साँस के उर शत्रु बड़े सुन भाय।
बगिया माली फूल संग,खेलय औ इठलाय।।
बदलो अपना आचरण, बचे भूमि पर्यावरण।
पौधों बिन साँसें कहाँ,जीवन कैसा अलंकरण।।
जगह जगह खुब, पेंड लगाओ, धरती माँ के गीत सुनाओ।
जिधर चलो मित्र,वन उपवन हों, हरियाली भू,फिर से लाओ।।
Written by मयंक किशोर शुक्ल
वरिष्ठ कवि लेखक
साहित्य सम्पादक
superb... nice...
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