"वक्त की मार"(कविता)

ये कैसे चली जीवन  में  वक्त की मार ।

 मन मे मजबूत विश्वास रखना,

 बुरा वक्त  भी जायेगा हार ।।

ये बात नही है छोटी ,

मजदूरों  की गई रोजी  रोटी ,

किसान  हो या छोटे बड़े  दुकान ,

व्यापारी हो या कोई कामगार  इन्सान,

  हर किसी पर चलाई इस कोरोना ने,

 अपनी दोधारी  तलवार ।

ये कैसे चली जीवन मे वक्त की मार।

मन में मजबूत विश्वास रखना,

बुरा वक्त भी जायेगा हार ।।

एक बात है सच्ची,

एक बात हुई  है  अच्छी ,

घर मे सब ने मिल  के  एक  दूसरे का हाथ बटाया ,

खाने की मेज पर  सबने मिल कर  खाना खाया,

वक्त ने सिखाया क्या होता है प्यार ।

ये कैसे चली जीवन  में वक्त की मार ।

मन मे मजबूत विश्वास  रखना,

 बुरा वक्त जायेगा हार।

किसी ने अपनो  को खोया 

किसी ने गम में रातभर  भर नहीं सोया ,

बंद हो गया काशी गंगा और  गया ,

भगवान  के दर्शन  का तरीका  निकला नया,

ये  वक्त ने दिया जीवन  को कैसी दुख  का प्रहार ,  

ये कैसे चली जीवन मे वक्त की मार।

मन मे मजबूत विश्वास रखना,

 बुरा भी जायेगा हार।।

पुलिस  डाक्टर  नर्स  सफाई कर्मचारी,

धन्य  है हमारे  ये कर्मवीर ।

जो  हमारी सुरक्षा के लिए,

 बाहर  सह रहे है पीर ।

ये  हमारी रक्षा करने के लिए हर पल है तैयार,

ये कैसी  चली जीवन मे वक्त की मार । 

मजबूत विश्वास  रखना ,

बुरा वक्त  जायेगा हार।।  

जब भी बाहर  जाये ,मास्क  लगाये ,

दो गज की रखे दूरी ,खुद  को सुरक्षित  बनाये,

साफ सफाई  रहे,और रखे सावधानी,

न चलने दे कोरोना की मनमानी,

सारे सोशल दूरियो  का पालन कर ,

कोरोना रूपी रावण  का करे सहार, 

ये कैसी चली जीवन  मे वक्त की मार। 

मन मे मजबूत विश्वास  रखना,

 बुरा वक्त भी जायेगा हार।। 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

"जिस्म़"(कविता)

"बेटियाँ"(कविता)

"उसकी मुस्कान" (कविता)

"बुलबुला"(कविता)

"वो रात" (कविता)