"टीसें"(कविता)

यादों की बारिशें .

पत्थरें और शीशें ।

कितनी हैं ख्वाहिशें ,

कितनों की गुजारिशें ?

कोलाहलें और तपिशें ,

क्यूँ हमें पीसें ?

आईना भी घीसें ,

इश्क में खीसें ।

नाकामी मिला जिसें ,

घृणा की दबिशें ।

कभी निराशा उसे ,

ये हैं किस्सें ।

सिक्का खोटा हिस्से ,

लाशों पे नवाजिशें ।

हाशिये तक फंसे ,

परछाईं  पे पालिशें ।

नशा क्या विषें ,

क्या और साजिशें ?

कहाँ रोटियां फरमाइशें ,

कहाँ गुलाब़  टीसें ?

कांटों की परवरिशें ,

नदी की फीसे ।

सुधामयी अभिलाषा वारिसें -

मछलियाँ ! क्यूँ  गर्दिशें ?

राहें और नुमाईशें ,

अजनबी चौराहा हंसें ।

ये कैसी मालिशें ,

वासनामयी जिस्म़ हादसें !!

निचोड़ी प्रियतमा जलसे ,

मोड़ें और बहसें !!!

रातों में मजलिसें ,

कातिल निगाहें बीसें ।

जुगनू  और रहिसें ,

लहर आग खबीसें ।

निःशब्दता भी रिसें ,

मुकामों पे नक्शें ।

सूरज की तफ्तीशें ,

फासलें और हदीसें ।

नागिनें किसे डंसें ,

समंदर कहें किसे  ?

सितारों तक आशीषें ,

नियति शमां सदिशें ।

परवाना की रंजिशें ,

तौब़ा -तौब़ा नालिशें ।

हांलाकि हैं कशिशें ,

अदावती क्या कोशिशें ?

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