"स्वभाव"(कविता)

जैसा  हम  सोंचते, है  वैसा ही हमारा।

  स्वभाव होता है  क्योंकि,  आदमी की,

पेहचान चेहरे  से और  उनकें  स्वभाव,

  से होतीं है। कोई इंसान, अच्छा है तो।

उनकें स्वभाव की वजह से कोई बुरा।

  है तो उसकी सोच उनमें छुपे अवगुण,

अहंकार, है जो  उन्हें  जीवन, मे  उसे,

  आगे बढ़ने नही देता कदम कदम पर, 

पछतावा  मुस्किलो  के साये के नीचे। 

  रहेता है इंसान,  घर, बदलता। है  हर,

रोज वस्त्र बदलता है सम्बंध व्यवहार, 

  बदलता है  फिर  भी  इंसान, निराशा।

और तनाव, के घेरे में रहता  है दुःखी। 

  होता है फिर भी अपना स्वभाव नही।

बदलना चाहता और ये बात भी नही।

  भूल जाता  है की सरल, स्वभाव  ही, 

है हमारे  संस्कारों की सही  पहचान। 

  क्योंकि  अक़्सर लोग आपसे  रिश्ता,

आपकी सुंदरता देखकर नही बल्कि, 

 आपका  सवभाव  देखकर बनाते है।

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