"सुनो वृक्ष हैं सबसे महान"(कविता)

इस विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष

सुनो वृक्ष हैं सबसे महान,

जुड़े हैं जिनसे सबके प्रान।

निभाया युगों का साथ इन्होंने,

दी है हर बरसात इन्होंने;

पक्षियों का है इनपर डेरा,

नीचे पशु बनाये घेरा।

गाएं ना कैसे इनके गान, सुनो वृक्ष हैं सबसे महान।

।1।

यदि इन्हें है कोई लगाता,

अनंत जीवनभर सुख पाता;

वृक्ष हमारे जीवन दाता,

बिन इनके ना कोई रह पाता

कराएं ना कैसे इसका ज्ञान, सुनो वृक्ष हैं सबसे महान।

।2।

जन्म से लेकर मृत्यु तक,

प्राचीन से लेकर नवयुग तक;

भोजन से लेकर कपड़े तक,

अंधे से लेकर लंगड़े तक।

करते हैं सब इनका बखान, सुनो वृक्ष हैं सबसे महान।

।3।

दी है सबको शुद्ध हवा,

प्रत्येक ने दी अनमोल दवा;

घोट के इनको पीते ख़ूब,

तभी बीमार भी जीते ख़ूब

एक वृक्ष है गुणों की खान, सुनो वृक्ष हैं सबसे महान।

।4।

पहले था कुछ समय ही और,

वृक्ष था बादल और था मोर;

अब कुछ नाज़ुक से है दौर,

भागे हैं सब उन्नति की ओर।

मिटाने को स्वयं की पहचान, सुनो वृक्ष हैं सबसे महान।

।5।

तररक्की कुछ ज़्यादा बढ़ी है,

कर दी नई मुसीबत खड़ी है;

नित्य आते भूचाल कहीं पर,

जल सूखा अकाल कहीं पर।

सब उठे , पर नहीं जगने का ध्यान, सुनो वृक्ष हैं सबसे महान।

।6।

जन तो बढ़े पर उम्र घटी है,

सौ जीते थे साठ कटी है;

लोगों की भरमार यहाँ है,

शांति सुख अब प्यार कहाँ है।

सच्चाई से सब हुए अंजान, सुनो वृक्ष हैं सबसे महान।

।7।

मौसम बदला गर्मी बढ़ी,

ख़त्म हुई वृक्षों की कड़ी;

पृथ्वी भी लपटों से घिरेगी,

जब इसपर भी आग गिरेगी।

होगी क्या फिर इसकी आन, सुनो वृक्ष हैं सबसे महान।

।8।

पेड़ो पर विजली हर कोई गिराता,

काम की अपने चीज़ बनाता; 

वाहन जब भी सड़क से जाए,

अपने पीछे की धूल चखाये।

हुई बेरस खगों की तान, सुनो वृक्ष है सबसे महान।

।9।

हर वृक्ष हरदम कुछ है कहता,

पर ना सुनने का दर्द है सहता;

नहीं किसी को इनकी परवाह,

व्यवसाय से करते निर्वाह।

हुआ मानव इतना नादान, सुनो वृक्ष है सबसे महान।

।10।

होगी कल्पना मुश्किल ही फिर,

था क्या अवनि स्वरूप आख़िर;

रहा यदि ऐसा ही क्रम,

देखकर सबको होगा भ्रम

क्या रहता था यहाँ इंसान, सुनो वृक्ष हैं बड़े महान।

।11।

कर लो तुम थोड़ा सा ख़्याल,

होश में आ जाओ अब लाल;

मत काटो अपने प्राणों को,

रोक लो अपने तीब्र वाणों को;

प्रत्येक से मिलता जीवन का दान, सुनो वृक्ष हैं सबसे महान।

।12।

करोगे तुम जो वृक्षारोपण,

रहेंगे सुखी तुम्हारे ही गण;

सुधरो कहना है जे पी का,

बच जाएगा जीवन सभी का।

बने ना हम इससे अनजान, सुनो वृक्ष हैं सबसे महान।

।13।

Written by जय प्रकाश

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

"जिस्म़"(कविता)

"बेटियाँ"(कविता)

"उसकी मुस्कान" (कविता)

"बुलबुला"(कविता)

"वो रात" (कविता)