"श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को(श्रद्धांजलि)"(कविता)

 लो मैं तो चला अब दुनिया से।।

कदमो से बड़ा मजबूर हुआ।।


मेरी सासों ने मुझे धोखा दिया।।

मैं ब्रह्मलीन में चूर हुआ ।।


इस युग का मैं युग पुरुष ।।

इस युग को मैं छोड़ चला।।

 

इस धरा से जुड़ा था मैं खड़ा ।।

इस माटी में मिलने मैं चला ।।


मैं गूँज रहा हूँ हर दिल मे ।।

हर दिल से नाता मैं तोड़ चला।।


जो था स्वाभिमान मेरा ।।

उस देश को मैं छोड़ चला।।


जिन वसूलों पे मैं चला ।।

तुम उसपे चलते रहना।।


फिर लौटूँगा मैं जल्द बहुत।।

अभी जल्दी में मैं तो चला।।


काम कई जो थे बाकी ।।

उन्हें पूरा करने मैं तो चला।।


रात हो गई है बहुत जिंदगी।।

शुबह को उठने मैं तो चला।।


फिर मिलूंगा किसी मोड़ पर।।

अभी तो अलविदा मैं तो चला।।

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