"सावरिया"(कविता)

 ॐ श्री गणेशाय नमः

धन्य है मथुरा नगरिया जहा जन्मे सावरिया,!

मथुरा में कड़ा पहरा लागे, आधीरात को लल्ला जागे,!

धन्य हैं!मथुरा नगरिया जहां जन्मे सांवरिया,!!

मेरा श्याम तो बड़ा नटखट है,भक्तो की रक्षा करता झटपट है!

धन्य हैं!गोकुल नगरिया, जहां जन्मे सावरिया,!!

मेरा श्याम तो बड़ा ही सुन्दर है!,गोकुल में चर्चा हर घर घर है!

एकदिन कान्हा बरसाने आयो,बरसाने आयो,बरसाने आयो!!

राधा जी के मन हर्षायो, मन हर्षायो,मन हर्षायो,!!

वृन्दावन में रास रचायो,रास का रस पीने भोले बाबा आयो!

रूप बदल घुसे रास मंडल नगरिया, भोले बाबा सावरिया,!!

वृंदावन जैसा वन भी नहीं है! 

तुलसी वृक्ष जैसा वृक्ष नहीं है!!

कान्हा जैसा कोई नटखट भी नहीं है! 

जिसके होठो पर सटी है वासुरिया ,मेरे सुन्दर सावरिया!!

धन्य है कंस की नगरिया जहा जन्मे सावरिया !!

धन्य हैं गोकुल नगरिया जहां रहते सावरिया!!

धन्य है ! वृन्दावन नगरिया जहां रहते सावरिया,!!

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