"सांवली तितली"(ग़ज़ल)
थक गया मांगते न लिखत दी मुझे
राह में जो बिका यार ख़त दी मुझे।।
शर्त थी दूर होंगे नहीं हम कभी
पास आने कि उसने शपथ दी मुझे।।
मैं हिफाज़त कहां से करुं यार का
बीच आना नहीं थी कियत दी मुझे ।।
उड़ गया रंग उसका कहीं और था
ढूंढने का तभी यार हक़ दी मुझे।।
प्यार उसको इसी नूर से था हुआ
या कहीं बेंच दिल वो किसबत दी मुझे।।
Written by आशीष पाण्डेय
nice...
ReplyDelete