"सपना की बारात भाग-1"(कहानी)

सपना की बारात भाग-1

प्रयाग क्षेत्र के छोटे से गाँव में सुखराम का परिवार रहता था।

सुखराम के तीन लड़कियाँ और दो लड़के हैं, बड़ी बेटी सपना है फिर सोहना, रमेश,मुकेश और संजना हैं।

लेखराज किसान है ,किसानों की दशा आज क्या है यह किसी से छिपी नहीं है,इसलिए सुखराम के पास सम्पत्ति नहीं है।

सपना गोरी रंगत,कटीले नैन नक्श और सबकी नजरों में उतरने वाली लड़की है, वहीं सोहना साँवली ,तीखे नैन नक्श की थी, संजना सपना और सोहना की मिली जुली  मूरत थी,बातें करने में दोनों से ही  अधिक है।

रमेश और मुकेश दोनों ही सज्जन एवं विनम्र स्वाभाव के थे।

सपना एम.ए. कर रही है,वह वहीं काँलेज के छात्रावास में रहती है।उसका मित्र सोनू है जो हर सुख-दुख में धीरज बाँधता हैं।

सुबह-सुबह सपना कालेज की पुस्तकालय से पुस्तक निकाल कर लाती है तो सोनू उसे मिल जाता है-

सोनू---सपना यह अच्छा है कि तुम मेरे रास्ते में आकर खड़ी हो जाती हो।

सपना-रास्ते में मैं नहींआप आये हैं जनाब, मैं तो अपने रास्ते से जा रही थी।चलिए माना कि मैं आपके रास्ते में आई थी पर आपको बोलने की क्या जरूरत थी?

सोनू-क्या करें न बोलते तो आप नराज हो जाती फिर माफी माँगनी पड़ती, माफी माँगते तो--------

सपना-(बात काटते हुए)तो माफ कर देते हँसते हुए दोनों को क्लास रूम की तरफ बढ़ जाते हैं, तभी एक लड़की  सपना को चिट्ठी देती है।

सपना-लगता है चिट्ठी घर से आई है और यह कहते हुए चिट्ठी पढ़ने लगती है।चिट्ठी में उसके माता-पिता ने उसे घर बुलाते हैं।

अगले दिन वह घर पहुँच जाती है, बेटी को घर आया देखकर माँ खुश हो कर उसे गले लगा लेतीं हैं।

सपना-,माँ आप लोगों ने मुझे यहाँ क्यों बुलाया?

माँ-ले आते ही सवाल दाग दिये, पहले बैठे, आराम कर फिर आराम से बातें करेंगे।

शाम को सुखराम घर पहुँचते हैं तो सपना अपने बुलाने का कारण पूछती है।

सुखराम-बेटी अब तुम बड़ी हो गई हो और हम चाहते हैं कि हम अपनी बेटी के हाथ पीले कर देँ।

सपना ने तुनककर कहा हमें नेट क्वालीफाई करके प्रोफेसर बनना है और आपको हमारी शादी की पड़ी है।

पिता ने समझाया बेटियां पराया धन होती हैं और हर माँ-बाप की जिम्मेदारी है कि अपने जीते जी अपनी बेटियों को इस घर से बिदा करें।

इस बार सपना ने कोई जबाब नहीं दिया।वह समझ चुकी थी कि अब कोई  न नहीं चलेगी।सपना के हृदय में उधेड़बुन थी क्योंकि उसे झूठे ,फरेबीऔर रिश्वतखोर लड़को से नफरत थी।

सपना सोच रही थी कि जिससे उसकी शादी होगी वह उसे समझ पायेगा या नहीं।


ठीक एक दिन बाद उसी गाँव के  पास वाले गाँव केप्रधान का लड़का व उनका परिवार सपना को देखने आये। 

सपना को भली भांति देख- परख कर शादी तय दी।

सपना दो दिन बाद छात्रावास जाती है और सोनू को सारी बात बताती है।सोनू उसे बधाई देता है और हँसता हुआ कहता है कि ""अच्छा हुआ तुम्हें कोई लड़का पसंद आया, मैं तो समझा नापसंदगी में तुम कहीं कुवाँरी न रह जाओ।""

सपना को इस बात पर हँसी आ जाती है।

काँलेज के वे दिन यूँही कटने लगे।



,इधर गाँव में सुखराम के घर उस लड़के के पिता सूरजप्रकाश जी आते हैं और रिश्ता तोड़ने के लिए कहते हैं, पूछने पर पर पत चलता है कि महज हाँस्टल में रहने के कारण रिश्ता तोड़ा जा रहा है ।सुखराम को झटका सा लगता है, कुछ दिन घर में खामोशी रहती है फिर एक दिन वह सपना को एक पत्र प्रेषित करते हैं---

उस दिन सपना कक्षा के लिए जा रही थी कि डाकिया ने उसे पत्र दिया ,पत्र पढ़ते ही उसके पैरों के नींचे की जमीन खिसक गई।

पत्र में लिखा था-"जिन्दगी के सफर में यह भी होता है, जो नहीं होना चाहिए वही होता है जिसे हम खुशियाँ समझ रहे थे वो तो दुख का साया था ।बेटी शादी टूटने का हमें भी दुख है और तुम्हें भी होगा लेकिन ऊपर वाले से प्रार्थना करूँगा कि तुम्हें इस दुख से निकलने में  तुम्हारी मदद करें।"

पत्र पढ़ते ही सपना के चेहरे का रंग सफेद हो गया सामने से जाते हुए सोनू की नजर उस पर पढ़ती है वह पत्र  अपने हाथ में ले लेता है सपना की आँखों से आँसुओं की झड़ी लग  जाती है, धीरज बंधाता हुआ वह उसके हाँस्टल रूम छोड़ देता है।

अगले दिन जब सोनू सपना से मिला तो उसकी हालत बता रही थी कि वह अभी भी ठीक नहीं है अतः सोनू ने पत्र वाली बात अभी करना उचित नहीं समझा।

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सप्ताह बितने वाला है पर सपना के चेहरे पर अभी भी उदासी छायी हुई है।

सोनू--सपना जिन्दगी एक जगह आकर ठहरती नहीं है, उदास होकर जिओगी तब नहीं, खुश रहोगी तब नहीं।इसलिए दुख के पल्ले को छोड़कर जो खुशियाँ तुम्हारे आसपास है, उन्हें लेकर जिओगी तो जिंदगी बदले एहसास के साथ तुम्हारा स्वागत करेगी"।

सपना--"जानती हूँ जिन्दगी नहीं ठहरेगी पर दुख भुलाना इतना आसान तो नहीं है,शादी भी तोड़ी तो केवल हाँस्टल में रहने के कारण।ऐसे तो कितनी लड़कियाँ हाँस्टल में रहती हैं,सब पर शक किया जायेगा तो वे सब यूँही नरोती रहेंगी मेरी तरह"।

सोनू-हर कोई एक सा नहीं हो ता ,अच्छे लोग भी होंगे जो तुम्हारी कद्र करेंगे।।


सपना--"सच हर इन्सान एक सा नहीं होता।"

धीरे-धीरे सपना सामान्य होने लगी और अपने परीक्षा की तैयारी करने लगी।एक माह बाद उसकी परीक्षा थी और परीक्षा के बाद अब वह गाँव चली गई।

सपना को घर आया देख उसके माँ-बाप बहुत खुश थे, माँ ने बेटी को गले लगा लिया।



सपना एम.ए.कर चुकी है और पास के एक विद्यालय  में शिक्षण कार्य करने लगी।

इसी बीच सपना के पिता ने रामनगर निवासी मुखिया के बेटे से रिश्ते की बात चलाई,मुखिया का बेटा"शिवा"जो होनहार था साथ ही सपना के अनुरूप गोरी रंगत, शानदार छवि कद काठी का युवक था,उसने सपना से बात करने की इच्छा जाहिर की।सुखराम ने यह बात अपनी पत्नी को बता रहा था, तो कागज पर लिखते हुए सपना के हाथ रूक गये। अगले दिन स्कूल से छुट्टी लेकर शिवा के बताये स्थान पर पहुँची तो शिवा वहाँ पहले से ही उपस्थित था।

सपना को देखकर वह खड़ा हो गया और मुस्कुरा कर बोला-"लगता है इजाजत मिलने में देर लगी इसलिए आने में देर लगी"

शिवा-"क्या घरवालों ने बोलने से मना कर दिया है।"

सपना-"मना उसे किया जाता है जो बोलना नहीं जानता।"

शिवा"चलिए इस बहाने कानों तक तो आपकी आवाज पहुँची, अगर आप उन्हीं न बोलने वाले में से होती तो हम आपकी आवाज को तरस जाते।"

सपना-"आपने यहाँ क्यों बुलाया?"

शिवा-"जाहिर सी बात है आपसे बात करने के लिए।"

बात करते-करते काफी समय बीत गया तब सपना ने घर जाने के लिए कहा दोनों अपने-अपने घर चले जाते हैं।

शिवा को सपना पसंद थी पर वह अपने पिता के दहेज लोभी स्वभाव से अच्छे से परिचित था।

उसे डर था इस लोभ के कारण कहीं उसका रिश्ता न  टूट जाये।इन सभी परेशानी के कारण वह रात भर सो नहीं पाया।

ईधर सुखराम खुश थे कि उन्हें  शिवा जैसा इतना समझदार सुलझा हुआ लड़का मिला है। शादी तय करने जब वह मुखिया के घर पहुँचे तो उन्होंने दहेज की एक लम्बी लिस्ट पकड़ा दी,सुखराम ने दहेज देने में असमर्थता जताई तो उन्होंने ने कठोर शब्दों में पत्थर की भाँति कहा-"दहेज न होगा तो शादी भी न होगी।"

"मरता क्या न करता "उन्होंने ने उनकी शर्तें स्वीकार कर लीं।

ठीक एक महीने बाद  सपना की बारात उसके दरवाजे पर खड़ी थी।

शादी के दो दिन शेष रह गए।

सपना के पिता ने उसकी शादी के लिए घर गिरवी रख दिया था।

सपना को इस बात की चिंता थी कि मेरी शादी के लिए यह घर गिरवी रख दिया तो उसके बाकी भाई-बहनों का क्या होगा?

घर पर तैयारी जोर-शोर से चल रही थी, सपना भी घर के कार्योंमें हाथ बटाँ रही थी।।

सपना घर के दरवाजे पर सजावट कर रही है तभी उसकी बहन सोहना आ जाती है और उसे इस तरह काम करते देख कहती है-अरे यह क्या दीदी दरवाजे पर जीजाजी आपको लेने खड़े हैं और आप काम कर रही हैं।"

सपना-तो क्या वो भी काम करवा देगें"

सोहना-"अरे जीजाजी आये बाद मेंऔर आप काम पहले करवाने लगीं।

सपना-"बातें करने में बहुत एकस्पर्ट है, जाती है या-------।

सोहना"जाती हूँ डाँटती क्यों।"

नाराजगी का नाटक करते हुए सोहना वहाँ से चली जाती है।


क्या सपना की शादी शिवा से हो पायेगी या दहेज के कारण नहीं जानने के लिए बने रहे"...........

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