"समर्पण"(गीत)
मैं मात पिता के चरणों में,जीवन समर्पण करता हूँ
तन समर्पण करता हूँ,और मन समर्पण करता हूँ
इस धरा की वेदना को,नभ समर्पण करता हूँ
तम हँटे जीवन से सबके,भानु समर्पण करता हूँ
पाँव में काँटे चुभे ना,फूल समर्पण करता हूँ
मैं तेरे अधरों को ,गीत समर्पण करता हूँ
जुगनुओं की ज़िंदादिल पें,चाँद समर्पण करता हूँ
इन ध्येय नयनों को,दीप समर्पण करता हूँ
सांसें है सबकी रूकी,मारूत समर्पण करता हूँ
इस राह से गुजर रहा जो,उसे खुशबू समर्पण करता हूँ
Written by प्रभात गौर
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