"रिश्ते निभाने वाला गरीब महान"(कविता)
किसी गरीब आदमी, से बिना समझे,
नाता न तोड़, ना क्योंकि जितना।
मान सम्मान उनकी चोखट पर मिल,
ता है उतना मान सम्मान हमें और,
कोई, नहीं दे सकता इस दुनया में,
अमीर गरीब से हाथ नही मिलाता।
उन्हें क्या पता उस गरीब की वजह,
से वो आबाद हो कर अपने महेलों।
में जी रहा है जहाँ, गरीब की कदर,
नहीं होती वहाँ भी वो रिश्ते निभाता।
फर्क बस इतना, है अमीर गरीब के,
बीच के अमीर, रिश्ते अपने दिमाग,
से निभाता। था और। गरीब दिल से,
मज़बूरियों, के घेरे में रहेता है पूरे,
दिन जो उम्मीदो, के सहारे सिर्फ,
एक ही ख़्वाब, रखता था अपनी।
आँखों दो वक्त की रोटी का जो।
उस गरीब के लिए हर दिन चुनोति,
थी छीन लेता है खुशियां गरीब के,
हाथों से ईश्वर शायद वो इन सब से,
ज़्यादा गरीब होगा। गरीब आदमी,
अपनी भूख छुपायेगा उदासी नहीं।
Superb......
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