"रिश्ता"(कविता)

प्रेम से बनता प्यारा रिश्ता 

विश्वास का धागा हर पल बढता। 


अपनो का सम्मान हो जिसमे 

मै ही मै अभिमान न उसमे। 


दुख सुख मिलकर साथ मे बाटे 

ना पनपे नफरत के काटें।


फूलो की मुस्कान है रिश्ता, 

मानव की पहचान है रिश्ता। 


कोई अपना रूठ ना जाये 

कभी ऐसा वक्त न आये। 


भाई बहन परिवार है रिश्ता

माता पिता और जान है रिश्ता।

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