"रंगोली"(कविता)

 धरती  पर  इंद्रधनुष  के सारे रंग,

 बिखरा ती  अपने रंगो से धरती। 

  को  सजाती। और  नकारात्मक,

   ऊर्जा, को  मार्ग  में ही  रोककर,

    वापस बाहर, की ओर  प्रवाहित,

     कर देती। अपने रंगो  से  जीवन, 

      में  खुशियों,  के रंग  भर  जाती।

       घर आँगन, की  रानी  कहलाती।

        रंगों से हरी भरी इसकी कहानी।

         अंधेरे  में  भी   रौशनी  फैलाती। 

          विभिन्न, आकृतिओ  में  घर की, 

           शोभा बढाती। जग मगाते दियों।

            के  बिच रेहकर  घर आँगन  की,

             रौनके  बढाती।  हर  त्यौहार  में

                अपने रंगो से जीवन  रंग जाती।

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