"पितृ दिवस"(कविता)
परिवार का सारे कर्च उठाते, चेहरे पर मुस्कान सजाते
दर्द-पीड़ा वो सब सह जाते, कौन
पापा, मेरे पापा, पापा, मेरे पापा||
अधूरी रहे न हम सब की ख़्वाहिश, मेहनत वो दिन-रात है करते
थके-हारे घर पर आते, कौन
पापा, मेरे पापा, पापा, मेरे पापा||
अपनी परवाह कभी न करते, समस्याओं से, रोज गुजरते
खुशियाँ में हमारी कमी न लाते, कौन
पापा, मेरे पापा, पापा, मेरे पापा||
शौक पूरे होते, उन्ही के धन से, वरना, खर्चे पूरे न होते
गम, चुपके से सह सब जाते, कौन
पापा, मेरे पापा, पापा, मेरे पापा||
कुम्हारे के जैसा व्यक्तित्व उनका, कोमल, कठोर सा हृदय रखते
उज्ज्वल भविष्य जो कामना करते, कौन
पापा, मेरे पापा, पापा, मेरे पापा||
उनके राज में, सब मौज मनाते, दुख-दर्द कभी भी छु न पाते
ढाल बन तैयार खड़े वो, कौन
पापा, मेरे पापा, पापा, मेरे पापा||
दुनियाँ उनके बिन अधूरी, प्यारे-सच्चे दोस्त हमारे
सब इच्छा, तमन्ना पूरी करते, कौन
पापा, मेरे पापा, पापा मेरे पापा||
अकड़-आँख न उन्हे दिखाऊँ, उनके लिए सब दांव लगाऊँ
चिंता फिक्र जो सबकी करते, कौन
पापा, मेरे पापा, पापा मेरे पापा||
nice....
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