"पिता कि शान"(कविता)
ज़िन्दगी के हर हिस्से से पहचान बहुत है।
पिता से जीवन में शान और सम्मान बहुत है।
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पीता हर आपदाओं से पहले पहचान जाता है।
वक्त के हर घटनाओं से प्रभावित है, इस लिए
जान जाता है।
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पिता ओ कोहिनूर हीरा है,हर पल ऊजाला देता है
अंधेरा तो इर्द-गिर्द भटकता नहीं हर संकटों को
सम्भाल लेता है।
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कभी अंगुली को पकड़ें कर चलना सिखाया।
कभी आपनी डांट फटकार से सही रास्ता दिखाया।
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कभी टूटते हौसले के नया हौसला दिया ।
कभी बड़ी से बड़ी गलतियों को माफ कर दिया।
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धूप गर्मी बरसात से लड़ता रहा परिवार के लिए।
परिवार से ही परिवार के लिए दूर चला गया परिवार के लिए।
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पिता की अहमियत कभी भी कम नही होता ।
दर्द को झेलते हुए भी आखें नम नहीं होता।
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एक पिता ही पिता के तरह दिलों मे जान रखता है।
कंधे पर परिवार की जिम्मेदारियॉ से पिता पहचान रखता है ।
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