"फूल खुशियो के"(कविता)

 हम गीत जिन्दगी के 

यूँ ही गाते रहेंगे। 

अगर पेड साथ-साथ 

यूँ ही लगाते रहेंगे। 


फूल खुशियो के 

जीवन मे खिल जायेंगे ।

हम धरा को अगर 

यूँ ही सजाते रहेंगे।


प्राण वायु बहेगी 

होगा शुद्ध वातावरण। 

हम प्रदूषण को 

मिलकर भगाते रहेंगे। 


खूब बरसेगा सावन 

मन मचल जायेगा। 

मन मयूरा पंख 

अपने लहराते रहेंगे। 


हरे-भरे बागों में

कूंकेगी कोयल। 

तोड मधुर फल 

हम सब खाते रहेंगे। 

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