"पर्यावरण और हम"(कविता)
हम अपनी भूल कब सुधारेंगे।
निज स्वार्थ में कितने पेड़ काटेंगे।।
फोटो,स्टेट्स कब तक लगाएँगे।
जमीन पर कब उतर कर आएँगे।।
दोष भगवान को कब तक दोगे।
अपनी किये पर कब पछताओगे।।
पर्यावरण,के जीव जन्तु का संरक्षण कर दिखाओगे।
या उन्हें फिर मार-मार के भच्छक बन जाओगे।।
सिर्फ पेड़ बचाना या लगाना ही काफी नही।
क्या देखभाल करने की भी कसम खाओगे।।
या फिर झूठी तसल्ली फोटो खींच कर दिखाओगे।
पर्यावरण को ऐसे भला कैसे बचा पाओगे।।
जल,पेड़,तोता,गौरेया,मैना,बुलबुल, कही दिखाओगे।
या बिसलरी, गिलहरी, पिंजरों में बंद दिखाओगे।।
आओ सब मिल कर साथ कसम खाएँगे।
पर्यावरण संरक्षण बनकर दिखाएंगे।।
Written by कवि महराज शैलेश
Thanx
ReplyDeletesuperb... nice...
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